सागर l अपने इतिहास और संस्कृति को जानो और गर्व करो। जो ऐसा नहीं करते वे गुलामी के मार्ग पर खड़े रहते हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने यह उद्गार खुरई किले के संस्थापक राजा खेमचंद्र दांगी की प्रतिमा का अनावरण करते हुए व्यक्त किए। मंत्री श्री सिंह ने खुरई के इतिहास पर एक किताब व फोल्डर बनवाने के निर्देश नगरपालिका सीएमओ को दिए।
     मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में खुरई किले का इतिहास बताया। उन्होंने कहा कि राजा खेमचंद्र दांगी ने 1707 में खुरई किला बनवाया था। वे गढ़ौला के ठाकुर खुमान सिंह के पुत्र थे। उनके पुत्र अचल सिंह ने यहां शासन किया। 1752 में पेशवाओं का खुरई किले पर अधिकार हुआ और मराठा शासक गोविंद पंत ने किले में डोहेला बनवाया था। 1857 में भानगढ़ के राजा ने खुरई पर हमला किया था। 1861 में अंग्रेजों ने खुरई को सागर जिले में शामिल कर तहसील का दर्जा दिया। मंत्री श्री सिंह ने बताया कि पं. नारायण राव खुरई के पहले तहसीलदार थे और 1893 में खुरई नगर पालिका बन गई थी।
       मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि खुरई में जो भी महापुरुष हुए उन सभी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और सार्वजनिक स्थलों को उनके नाम पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पं. केसी शर्मा स्कूल में स्व श्री केसी शर्मा की प्रतिमा लगाई जा रही है। खुरई में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रतिमा भी लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि खुरई के किले की दुर्दशा आप सभी ने देखी है। यहां कई मकान वगैरह निर्माण हो गये थे और इसका दुरुपयोग हो रहा था। आज इसे इतना आलीशान बनाया गया है कि प्रदेश के महत्वपूर्ण किलों में खुरई किले का नाम लिया जाता है। मंत्री श्री सिंह ने युवा पीढ़ी को खुरई के महापुरुषों की स्मृति में सम्मान समारोह, जयंती समारोह आयोजित करना चाहिए।
     कार्यक्रम में राजा खेमचंद्र दांगी के वंशज राजेंद्र सिंह गढ़ौला, समाज के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह निर्तला, देशराज यादव, श्रीमती नन्हीबाई अहिरवार, सीएमओ दुर्गेश सिंह, श्रीमती रश्मि सोनी, प्रवीण जैन, राहुल चौधरी, राहुल बाहरपुर, बलराम यादव तथा बड़ी संख्या में दांगी समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।