अब 'कंप्यूटर बाबा' का नया वर्जन बाजार में आया है__

हरीश मिश्र
प्राचीन भारत में राजनैतिक व्यवस्था धर्मदंड और धर्मगुरु के आदेश, दिशा-निर्देश पर केंद्रित हुआ करती थी । धर्मगुरुओं ने सत्ता पर बैठे राजाओं को आर्थिक, धार्मिक, प्रजातांत्रिक अधिकार तो दिए, लेकिन व्यवस्था राजा केंद्रित ना हो इसलिए धर्म के दंड को धर्म गुरु के आदेश के रुप में प्रमुख स्थान दिया गया।
प्राचीन काल में राजनैतिक व्यवस्था का सर्वोच्च राजा होता था और वर्तमान में जनप्रतिनिधि । राजा धर्मदंड और धर्मगुरु की आज्ञा का पालन करता था । वर्तमान में प्रजा और संविधान सर्वोच्च है।
प्राचीन काल में धर्मगुरु धर्म आधारित आचरण कर राजा पर अंकुश कायम रखते थे। वर्तमान समय में धर्मगुरुओं ने नेताओं के माध्यम से सत्ता के लाभ के लिए राजनीति में प्रवेश किया है, जो अनुचित है । बाबाओं का धर्म में उपयोग सबसे पहले भाजपा ने किया है। धर्म और बाबाओं के राजनैतिक उपयोग की वसियत भाजपा के नाम पर लिखी गई है। कांग्रेस तो समझती भी नहीं है कि राजनीति में धर्म और बाबाओं का उपयोग कैसे किया जाता है।
कंप्यूटर बाबा पहले भाजपा के लिए काम करते थे। तब उनके स्पीकर से शिवराज की जय की धुन सुनाई देती थी। उनका माऊस जैसा भाजपा चाहती वैसे चलता था।
अब कंप्यूटर बाबा का नया वर्जन बाजार में आया है। 12 जीबी रैम के इस नए कंप्यूटर में कांग्रेस और कमलनाथ का सॉफ्टवेयर डल गया है। अब की--बोर्ड कांग्रेस कार्यालय से संचालित होने लगा है।
सांची विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस, कंप्यूटर बाबा की दम पर चुनाव जीतना चाहती है, जो कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल है। ऐसे बाबाओं का ना तो समाज में कोई सम्मान है और ना ही इनका ईमान । कांग्रेस को चुनाव जीतना है तो सड़क से लेकर_सत्ता के गलियारे तक_ मतदाता की चौखट से लेकर_ कलेक्ट्रेट के दरवाजे तक हर जो़र जुल्म के विरुद्ध दस्तक देना होगी। तभी उपचुनाव में सफलता मिल सकती है, नहीं तो कांग्रेस निपट जाएगी।