चुनाव के समय झुककर वोट मांगने वाली कमर, चुनाव जीतने के बाद सीधी हो जाती है

हरीश मिश्र
रायसेन - कितनी शर्मनाक बात है! आज़ादी के 74 साल बाद भी जनता को अपने मत के अधिकार नहीं पता। तभी तो निर्वाचन आयोग कठपुतली का नृत्य दिखाकर, रंगोली सजाकर, स्कूल के बच्चों से रैली निकलवा कर, अखबारों में विज्ञापन देकर, दीवार लेखन कराकर, पीले चावल देकर, पिंक पोलिंग बूथ बनाकर करोड़ों रुपए फूंक कर मतदाता जागरूकता अभियान चलाता है। फिर भी मतदाता नहीं जागता ।
सांची जनपद पंचायत के बिल से पता चलता है । यह पैसा कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता हैं । सांची जनपद ने किया कठपुतली से मतदाता जागरूकता का प्रचार । इस प्रचार के लिए 30000/ का भुगतान सिर्फ एक जनपद द्वारा किया गया। अंदाज़ा लगाइए पूरे प्रदेश में कितना खर्चा किया गया होगा। ( ऐसे आयोजन काग़ज़ में होते हैं ) कठपुतलियों का नृत्य देखकर मतदाताओं ने चुनी कठपुतली सरकार । कठपुतली विधायकों की डोर श्रीमंत के हाथों में । जब श्रीमंत की महत्त्वाकांक्षा पूर्ण नही हुई तो श्रीमंत ने कठपुतली विधायकों की डोरी खींची और नाथ सरकार का खेल खत्म कर दिया ।
फिर श्रीमंत ने कठपुतली सरकार बनाई। शिव ने श्रीमंत का उड़ाया उपहास, विभीषण कह कर किया परिहास । फिर श्रीमंत विभीषण ने शिव को आंख दिखाई। अपनी योग्य-अयोग्य कठपुतलियों को ( विधानसभा सदस्यता ना होने पर भी ) मंत्री पद की शपथ दिलाई। फिर मलाईदार विभाग नही मिलने पर शिव की करी टांग खिंचाई। श्रीमंत ने उतारी दूध की मलाई । निष्ठा की कीमत निष्ठावान भाजपाइयों ने चुकाई।
श्रीमंत विभीषण का खेल जनता को पसंद नहीं आया । हताश और निराश मतदाता को निर्वाचन आयोग के खूब करो मतदान अभियान पर गुस्सा आया। जब किए गए
मतदान से विधानसभा में पहुंचने वाला विधायक , जनता का सेवक, जनता का शासक बन जाता है। शासक बनते ही आम आदमी से संबंध तोड़ लेता है। चुनाव के समय झुककर वोट मांगने वाली कमर, चुनाव जीतने के बाद सीधी हो जाती है। चुनाव से पहले जो जनता के चरणों में,जीतने के बाद जनता उसके चरणों में होती है। चुनाव से पहले मिलनसार, जीतने के बाद गाड़ी के कांच नहीं उतरते।
चुनाव से पहले घर-घर दस्तक देने वाला विधायक जीतने के बाद दलालों से घिर जाता है। उसका मोबाइल संपर्क क्षेत्र से बाहर हो जाता है । दलालों के नंबर से जुड़ जाता है।
विधायक चुनाव जीतने के बाद सत्ता के दलालों, अवसरवादी अधिकारी, कायर गुंडों, धन लोलुप ठेकेदारों को भिखारी से अरबपति बना देता है ।
ये रेत का अवैध उत्खनन कराते हैं_शराब कारोबारियों को संरक्षण देते हैं I शिक्षा माफियाओं से मिलकर गरीब बच्चों का शिक्षा का अधिकार छीन लेते हैंनिजी चिकित्साल्य को चिरायु होने का वरदान देते हैंI वन भूमि पर कब्जा कराते हैंI राशन की दुकान से गरीबों का अन्न चुराने वाले अपने समर्थकों को बैठाते हैं_
सड़कों का तारकोल पी जाते हैं__कोरोना फैलाते हैं। अपनी धन की हवस मिटाने के लिए सरकार गिराते हैं। तब जागरूक मतदाता कहता है
बंद करो मतदान !
जब बिक जाते हैं श्रीमान!!