दिव्य चिंतन : बौने कद के नेताओं के लिए शिव घुटने टेक रहे हैं__ हरीश मिश्र

रामायण, महाभारत काल में प्रतिज्ञा या वचन का महत्व था। तब प्राण चले जाते, पर वचन नहीं। राजा दशरथ ने कैकई को दिए वचन निभाने के लिए.. अपने प्राणप्रिय राम को वनवास भेज प्राणोत्सर्ग कर वचन निभाया। महाभारत काल में भीष्म ने अपने पिता के सुख के लिए प्रतिज्ञा ली और जीवन भर प्रतिज्ञा का पालन किया। श्री कृष्ण, कर्ण, गांधारी, मामा शकुनी, शिखंडी, हनुमान, अंगद की प्रतिज्ञा और शपथ आज भी अनुकरणीय हैं।
लेकिन यह भ्रष्ट कांग्रेस के बाद का मोदीयुग है । यहां प्रतिज्ञा और शपथ का कोई मोल नहीं । मेरे प्रिय देश के सबसे विश्वासपात्र प्रधानमंत्री मोदी जी ने शपथ ली कि मैं ना खाऊंगा ना खाने दूंगा । लेकिन आज उनके नेतृत्व में सर्वाधिक भ्रष्ट आचरण करने वाले कांग्रेसी नेताओं को भाजपा में प्रवेश दिला कर पवित्र किए जाने का उद्योग संचालित हो रहा है और मोदी_जी के नाम पर किसानों व मतदाताओं की छाती पर मूंग दलने फिर खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस से आए भ्रष्ट अपवित्र नेता मोदी जी जैसे पवित्र नाम की आड़ में भगवा वस्त्र धारण कर एक बार फिर रावण के रुप में छलने आए हैं। 2018 में निर्वाचित विधायकों, मंत्रियों ने सदन में शपथ ली और उस शपथ की आड़ में करोड़ों कमा कर फिर से उपचुनाव में खड़े हैं और इन बौने कद के नेताओं के लिए शिव घुटने टेक रहे हैं। तब लगता है कि इस युग में प्रतिज्ञा और वचन का कोई महत्व नहीं रह गया।