दिव्य चिंतन : 'महाराज' समर्थकों ने सड़क पर निकाली 'भड़ास'

हल्ला बंद करवाओ महाराज !
हरीश मिश्र
भाजपा द्वारा पूरे प्रदेश में आयोजित चिंतन शिविर का आयोजन चौंकाने वाली घटना नहीं है। शिविरों के माध्यम से भाजपा 2023 के सत्तासंग्राम के लिए कार्यकर्ताओं को राजनैतिक शुचिता, अनुशासन का युद्धाभ्यास करा रही है । ऐसे युद्धाभ्यास इसलिए जिससे कार्यकर्ता बंद कमरों में अभी हल्ला कर भड़ास निकाल लें और चुनाव के समय सामंजस्य से काम कर भगवा परचम लहरा सकें।
भड़ास निकालने के लिए ही होता है, जिससे संगठन की छवि सड़कों पर धूमिल ना हो। लेकिन रायसेन शगुन गार्डन में आयोजित भड़ास शिविर में प्रवेश ना मिलने पर महाराज समर्थक सूरमाओं ने भाजपा कार्यालय के सामने सड़क पर हल्ला कर जमकर भड़ास निकाली। भाजपा जिला अध्यक्ष के बैनर तार-तार कर संदेश दिया । भाजपा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ही प्रवेश नहीं हुआ बल्कि वे अपने साथ कांग्रेस की संस्कृति भी लेकर आए हैं।
भाजपा के अनुशासित कार्यकर्ताओं को राघवेंद्र शर्मा, राम के आदर्श पथ पर चल कर राम राज्य स्थापित करने, पंकज चतुर्वेदी राष्ट्रवाद से ही कमल मुदित होगा, सुमित पचौरी जहां सुमति तहां संपत्ति नाना का संदेश दे रहे थे। तब चिंतन में लीन कुछ चेहरे मुस्कुराए तो कुछ मुरझा गए।
प्रशिक्षण शिविर में उपचुनाव में जीत का इतिहास बनाने वाले भाजपा-महाराज समर्थक कार्यकर्ता अनुपस्थित रहे, उनका आरोप था " जिन्होंने उप- चुनाव में भीतर घात किया, उन्हें प्रशिक्षण किस बात का ? क्या भीतर घात करने की क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।" तब 2018 में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं ने जबाव दिया " विधानसभा चुनाव 2018 मे कांग्रेस के लिए काम कर चुके कमल छाप कांग्रेसी पहले अपना चेहरा आईने में देखें ? मिश्र तलाब में कमल ककड़ी जड़ से निकालने कौन-कौन उतरा था, सब जानते हैं । क्या वह अपने कौशल का पुनः प्रशिक्षण करना चाहते हैं।"
भाजपा में उठे विवाद पर कांग्रेस के मनोज मुंतशिर मजे लेते हुए कहते हैं, विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा के कई पठान रात के अंधेरे में कांग्रेस की मधुशाला में मुशायरा सुनने आते थे।
एक राजनैतिक विश्लेषक का कहना है । राजस्थान में प्रथा है। जागीरदार किसी महिला को चुनरी उड़ा कर, उसका मूल्य देकर घर बैठा लेते हैं। उसे मौलकी कहा जाता है। ऐसी महिला को पत्नि जैसा सम्मान, मंगल सूत्र तो नहीं पहनाया जाता, लेकिन जीने की सभी भौतिक सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई जातीं ।
वर्तमान समय में भाजपा एक जागीरदार संगठन है। उसने मूल्य चुका कर कांग्रेस परिवार की कई मौलकियों को ख़रीदा। जिनको मूल्य देकर
खरीदा उनकी भौतिक सुख-सुविधाओं की जिम्मेदारी अब संघ, भाजपा कार्यकर्ताओं की है। संघ, भाजपा के कार्यकर्ताओं को समझना होगा जागीरदार के निर्णय पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाते।
भारतीय राजनीति में एक मात्र राजनैतिक दल भाजपा है, जो मूल्य आधारित राजनीति करता था। यह सच है। भाजपा अस्सी से नब्बे के दशक तक मूल्य आधारित राजनीति करती थी, नब्बे से दो हजार दस के दशक तक अपना मूल्यांकन करती थी। दो हजार दस से दो हजार बीस में मूल्य देकर राजनीति प्रारंभ की।
इसलिए संघ, भाजपा के निष्ठावान पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को मौलकी ( मूल्य देकर खरीदे गए महाराज समर्थकों ) को सम्मान भी देना होगा, पद भी और समन्वय भी बैठाना होगा ।
भाजपा के जागीरदार प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी ये ही इच्छा है और महाराज समर्थकों को भी संगठन की बातों को सड़कों पर लाना बंद करना होगा। हल्ला बंद कराओ महाराज ! यह कांग्रेस नहीं भाजपा है।