प्रसंग वंश - पंचायत चुनाव... आधार कार्ड और बाप का नाम...

हरीश मिश्र
रज्जन "लावारिस" था। उसे न अपने बाप का, न खानदान का पता था । जब सात आठ साल का था। गांव में आ गया। कहां से आया, गांव वाले नहीं जानते थे
। कोई भी दो रोटी दे देता। कहीं भी सो जाता।
गांव वाले बहुत प्यार करते थे।
सरपंच का चुनाव आए । गांव के एक पक्ष ने रज्जन "लावारिस" को सरपंच पद पर खड़ा कर दिया । विरोधी पक्ष जो कल तक बहुत प्यार करते थे, वह सज्जन " लावारिस" के विरोधी हो गए।
चुनाव परिणाम आए । रज्जन "लावारिस" चुनाव हार गया । चुनाव परिणाम के बाद रज्जन "लावारिस" जीते हुए प्रत्याशी के जुलूस में नाच रहा था।
एक गांव वाले ने पूछा तू क्यों नाच रहा है ।
उसने कहा मैं जिंदगी भर अपने बाप को ढूंढता रहा, पता नहीं चला। सरपंच का चुनाव लड़ा, मेरे विरोधियों ने मेरे बाप को ढूंढ लिया, इसलिए मैं चुनाव हार कर भी जीत गया । इसलिए नाच रहा हूं कि अब मेरे आधार कार्ड पर मेरे बाप का नाम होगा।