2019 में मुझसे एक भूल हुई, उसके लिए " क्षमा पर्व " पर मुझे "क्षमा " करें

2019 लोकसभा चुनाव में विदिशा- रायसेन संसदीय क्षेत्र के अपने मित्रों से मैंने अपील की, हाथ-पैर जोड़े "अपात्र_को_दिया दान_दुखदाई_होता_है..."
#इसलिए_पात्र_को_दान_दें। अपने मित्रों में मैं बहुत लोकप्रिय हूं, इसलिए मेरी एक अपील पर मेरे हजारों-लाखों मित्रों ने सहज, सरल, शिव प्रिय, मेरे चाचा जी, "रमाकांत_भार्गव_जी" को सांसद निर्वाचित किया।
मेरी नज़रों में चाचा जी बहुत योग्य थे, लेकिन मेरी/मतदाताओं की नज़र धोखा खा गई, क्योंकि मेरी/मतदाताओं की आंखों में राष्ट्रवाद का सूरम लगा था। मेरे प्रिय चाचा जी ! ने, सुख में, न दुख में किसी का साथ नहीं दिया ( मुझे ऐसा लगता है ) । कोरोना की पहली-दूसरी लहर में भी किसी के पांव से कांट तक नहीं निकाला , बाढ़ जैसी विपदा में भी किसानों के साथ खड़े नहीं हुए। विकास में भी उनका कोई योगदान नहीं है। संसद में सवाल पूछते नहीं। मतदाता तो छोड़िए पत्रकारों से भी बात नही करते।
#सच_तो_यह_है...
सादगी तो हमारे ज़र्रे-ज़र्रे की देखिये ।
भरोसा भोले चेहरे पे कर लिया ।
बात तो सिर्फ़ पांच साल की थी मगर ।
इंतजाम उनका उम्रभर का कर दिया ।
चाचा जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ 🎉🎉
आज मैं सार्वजनिक क्षमा मांगता हूं🙏🙏 मेरे मित्रों से।
मेरे चाचाजी ! के लिए वोट मांग कर दुख का अनुभव हो रहा है...अब 2024 में मिलेंगे
आपका मित्र
हरीश मिश्र
( चाचा जी का दूर का भतीजा )