किसान भाई डी.ए.पी. (डाय अमोनियम फास्फेट) के विकल्प करे उपयोग

दमोह l कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा किसान बंधु परंपरागत डी.ए.पी. (डाय अमोनियम फास्फेट) का उपयोग करते है, जिसमें सिर्फ 2 पोषक तत्व नाईट्रोजन 18 प्रतिशत एवं फास्फोरस 46 प्रतिशत पाये जाते है, इसके और अधिक उपयोगी विकल्पो का कृषक बंधु उपयोग कर सकते है। जिसमें पहला पहला विकल्प नैनो डी.ए.पी. का है। नैनो डी.ए.पी. का उपयोग बीज उपचार के रूप में 1 किलो बीज में 5 एम.एल. नैनो डी.ए.पी. का उपयोग कर सकते है। 500 एम.एल की एक बॉटल 100 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त है। इसके अच्छे परिणाम के लिए 30-35 दिन की फसल में 4 एम.एल. प्रति लीटर पानी के हिसाब से खड़ी फसल में छिड़काव कर सकते है।
उन्होंने बताया नैनो डी.ए.पी. के बहुत से लाभ है, नैनो डी.ए.पी. 600 रू. प्रति बॉटल आती है जबकी परंपरागत डी.ए.पी. 1350 रूपये की आती है, से सस्ती है। नैनो डी.ए.पी. मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण में कमी आती है, भंडारण एवं परिवहन में सुविधा है, इसे आप एक बैग में भी रख सकते है, जैव सुरक्षित एवं पर्यावरण हितैषी भी है। इसके उपयोग से फसल उपज अच्छी होती है एवं गुणवत्ता में वृद्धि आती है।
उन्होंने बताया दूसरा विकल्प यूरिया और सिंगल सुपर फास्फेट का है। एक बोरी डी.ए.पी. के स्थान पर 20 किलो यूरिया एवं 3 बोरी एस.एस.पी. (सिंगल सुपर फास्फेट) का उपयेाग कर सकते है। एस.एस.पी. में 3 तत्व पाए जाते है। फास्फोरस 16 प्रतिशत, सल्फर 12.5 प्रतिशत एवं केल्सियम 21 प्रतिशत पाया जाता है। सल्फर दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा एवं तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा को बढ़ा देता है तथा केल्शियम से अमलीय मृदा का पी.एच. नियंत्रित हो जाता है, जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ जाती है और डी.ए.पी. से सस्ती भी है। एक बोरी लगभग 421 रूपये की है। 20 किलो यूरिया एवं 2 बोरी एस.एस.पी. (सिंगल सुपर फास्फेट) दोनो की कीमत डी.ए.पी. के लगभग बराबर है।
तीसरा विकल्प एन.पी.के. (नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश) 12:32:16 का है। 1 बोरी डी.ए.पी. के स्थान पर एन.पी.के. (12:32:16) का उपयोग कर सकते है इसमें नईट्रोजन 12 प्रतिशत, फास्फोरस 32 प्रतिशत एवं पोटाश 16 प्रतिशत पाया जाता है। अधिकतर किसान पोटाश का उपयोग नहीं करते है। जबकि यह एक पौधे के लिए आवश्यक मुख्य पोषक तत्व है। उन्होंने बताया एन.पी.के. 12:32:16 के बहुत से लाभ है, जिनमें नईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश 3 मुख्यो पोषक तत्व प्राप्त हो जाते है। पोटाश के उपयोग से अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है, क्योंकि पोटाश फसलों में होने वाली रन्ध्रों के खुलने एवं बंद होने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जिससे जल के साथ पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ जाता है। पोटाश के उपयोग से बीज की चमक बढ़ जाती है। पोटाश के उपयोग से पौधों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे फसलों में रोग कम लगते है तथा उत्पादन बढ़ जाता है।
चौथा विकल्प काम्पलेक्स 20:20:0:13 का है, इसमें नईट्रोजन 20 प्रतिशत, फास्फोरस 20 प्रतिशत तथा सल्फर 13 प्रतिशत पाया जाता है। सल्फर दलहनी फसलों में प्रोटीन एवं तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा को बढ़ा देता है। दलहनी एवं तिलहनी फसलों में इसका उपयोग करने से डी.ए.पी. की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त होता है। इसकी एक बोरी का रेट 1200 रूपये है जो डी.ए.पी. से सस्ताक भी है।
अन्य विकल्पों के रूप में एन.पी.के. एवं काम्पलेक्स उर्वरक जैसे:- 14:35:14, 10:26:26, 15:15:15, 16:16:16, 14:28:14 आदि एन.पी.के. उर्वरकों का उपयोग कृषक बंधु कर सकते है, जो डी.ए.पी. से अधिक उपयोगी है।