डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का प्रयोग करने किसानों को दी गई समझाइश

जबलपुर l खरीफ मौसम प्रारंभ हो चुका है एवं 22 जून तक मानसून आने की सम्भावना भी है। किसानों द्वारा खेती की तैयारी एवं बोनी का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, साथ ही धान की नर्सरी भी डाली जा रही है। धान जिले में लगभग 1.80 लाख हेक्टेयर में ली जाती है ।
परियोजना संचालक आत्मा डॉ एस के निगम ने यह जानकारी देते हुये बताया कि कृषि में बीज के बाद उर्वरक का उपयोग बहुत अहम हो जाता है। डॉ निगम ने बताया कि कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को खरीफ की फसलों में डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का इस्तेमाल करने की समझाइश दी जा रही है । इसी सिलसिले में आज गुरूवार को अनुभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव नेडबल लॉक केंद्र गुरु पिपरिया पाटन के निरीक्षण के दौरान मौजूद किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का उपयोग करने की सलाह देते हुये बताया कि इससे फसलों में संतुलित मात्रा में तत्वों की पूर्ति होगी। किसानों को बताया गया कि फसलों के लिए पोटाश बहुत ही महत्वपूर्ण उर्वरक है। पोटाश से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है और फसल के दानों में चमक आती है। इससे फसल का भाव अच्छा मिलता है । डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है, वहीं एन पी के उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश तीनों महत्वपूर्ण तत्व उपलब्ध होते है I किसानों को सलाह दी गई कि वे डीएपी के स्थान पर एसएसपी और एपीएस का विकल्प भी अपना सकते हैं I साथ ही बताया कि सिंगल सुपर फॉस्फेट एसएसपी का उपयोग करने से फसलों में सल्फर एवं कैल्शियम की आवश्यकता की पूर्ति होती है, जिससे फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है तथा तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा भी बढ़ती है I एपीएस में नाइट्रोजन, फास्फोरस और सल्फर तत्व पाए जाते हैं, ये उत्पादन बढाने के लिए जरुरी है I चर्चा में अनुभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने किसानों को निजी व्यापारियों से बीज और खाद खरीदते समय पक्का बिल लेने की सलाह भी दी । साथ ही कहा गया कि यदि कोई व्यापारी निर्धारित मूल्य से ज्यादा कीमत लेता है तो इसकी लिखित शिकायत तुरंत कृषि अधिकारियों को करें, ताकि उचित कार्यवाही की जा सके।