पाले से फसल बचाव के लिए सलाह

पन्ना l किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को पाले की स्थिति में फसल के बचाव के संबंध में आवश्यक सलाह जारी की गई है। मौसम विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में तापमान तेजी से कम होने की संभावना है। तापमान में होने वाली इस गिरावट का असर फसलों पर पाले के रूप में होने की आशंका रहती है। पाले की स्थिति के कारण फसलों को नुकसान होने की संभावना के दृष्टिगत विभाग द्वारा सलाह जारी की गई है।किसान भाईयों को समझाईश दी गई है कि रात्रि में खेत की मेडों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर विशेष रूप से उत्तर पश्चिमी छोर से धुंआ करें, जिससे धुएं की पर्त फसलों के ऊपर आच्छादित हो जाये। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है, क्योंकि खेतों में उगने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की उष्मा भूमि तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार से तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसी तरह शुष्क भूमि में पाला पड़ने का जोखिम अधिक होता है। इसलिए फसलों में स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करना चाहिए। थायों यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर 15-15 दिन के अंतर से छिड़काव भी पाले से बचाव के लिये उपयोगी उपाय है। 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का भुरकाव अथवा बेटेवल या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है।