बंगलूरू में आईटी पेशेवर अतुल सुभाष के आत्महत्या करने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दहेज और घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों की समीक्षा की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कानूनों में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए ताकि इनका दुरुपयोग रोका जा सके। वकील विशाल तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि दहेज निषेध अधिनियम और आईपीसी की धारा 498ए का उद्देश्य विवाहित महिलाओं को दहेज की मांग और उत्पीड़न से बचाना था, लेकिन ये कानून महिलाओं के हाथ पतियों और उनके माता-पिता को परेशान करने का हथियार बन गए हैं। याचिका में अतुल सुभाष मामले का जिक्र करते हुए कहा गया कि इस घटना ने वैवाहिक कलह, दहेज निषेध कानूनों के दुरुपयोग और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी है।