जबलपुर l तिलहनी फसलों को बढावा देने के लिए किये जा रहे प्रयासों के तहत कृषि अधिकारियों ने आज मझौली विकासखण्ड के ग्राम सुहजनी में सरसों फसल का अवलोकन किया जो फूल की अवस्था में थी। इस दौरान कृषि अधिकारियों ने तिलहनी फसल ले रहे किसानों से भी चर्चा की और उनके अनुभव जाने। सरसों की फसल का अवलोकन करने वाले अधिकारियों में अनुविभागीय कृषि अधिकारी सिहोरा रवि आम्रवंशी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जे एस राठौर शामिल थे।

चर्चा के दौरान कृषक नरेश रजक एवं राजकुमार बर्मन ने कृषि अधिकारियों को बताया की उन्होंने पहली बार अपने खेत में सरसों की फसल लगाई है जिसका उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड आने की संभावना है। वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जे.एस. राठौर ने बताया कि यदि सरसों फसल की बोबाई 15 सितंबर तक कर दी जाये तो उसमें माहू के प्रकोप की संभावना कम हो जाती है।

किसान राजकुमार बर्मन ने बताया की उनके द्वारा पहले गेहूँ फसल लगाई जाती थी अब वे भी सरसों की फसल ले रहे हैं इससे उनकी आय में वृद्धि होने की संभावाना अधिक है। किसान नरेश रजक के मुताबिक गेहूँ की फसल लेने पर एक एकड़ में 40 से 50 कि.ग्रा. बीज लगता है जबकि सरसों का 01 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त है। गेहूँ फसल का उत्पादन 01 एकड़ पर लगभग 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ आता है जबकि सरसों फसल का उत्पादन 01 एकड़ में 10 से 12 क्विंटल होता है। इस हिसाब से देखा जाये तो गेहूँ से 01 एकड़ में लगभग 45 हजार रूपये और सरसों की फसल से 01 एकड़ में 55 हजार रूपये मिलते हैं। गेहूँ की फसल में 05 से 06 सिंचाई की आवश्कता होती है जबकि सरसों की फसल में 02 सिंचाई पर्याप्त होती हैं। सरसों की फसल का अवलोकन करने पहुँचे अनुविभागीय कृषि अधिकारी सिहोरा रवि आम्रवंशी ने बताया कि धान एवं गेहूँ की जड़ें ऊपरी सतह पर फैलती हैं जबकि तिलहन फसलों की जड़ें नीचे की ओर ज्यादा लम्बी जाती हैं। इससे तिलहनी फसल भूमि की निचली सतह से पोषक तत्व प्राप्त करती है। भ्रमण के दौरान जे.एस. राठौर जी ने बताया कि सरसों की फसल में माहू कीट के आक्रमण होने पर एक कीटनाशक दवा का स्प्रे अवश्य करें ।