विद्यार्थियों को जैविक खेती एवं टिकाऊ खेती का दिया गया तकनीकी प्रशिक्षण

कटनी - शासकीय महाविद्यालय सिलौंडी जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ स्वरोजगार स्थापित करने के लिए जैविक खेती का प्रशिक्षण जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण प्राचार्य डॉक्टर रतिराम अहिरवार के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण समन्वयक डॉक्टर नीता मिश्रा के सहयोग से दिया गया। जैविक खेती टिकाऊ खेती के अंतर्गत बतलाया गया की जैविक खाद का असर भूमि में तीन वर्षों तक बना रहता है। पौधे भूमि से प्रथम वर्ष 33 प्रतिशत द्वितीय वर्ष 45 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष 22 प्रतिशत पोषक तत्व जैविक खाद से प्राप्त करते हैं। जैविक खाद में सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं तथा भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है। विभिन्न जैविक खाद के अंतर्गत गोबर कंपोस्ट नाडेप टांका खाद पक्का नाडेप टटिया नाडेप कच्चा एवं भू नाडेप केंचुआ खाद निर्माण की सामान्य एवं चार गड्ढा विधि हरी खाद बायोगैस की खाद नील हरित काई जैव उर्वरक बायो फर्टिलाइजर अजोला सींग खाद तथा शीघ्र खाद के अंतर्गत मटका खाद जीवामृत खाद घन जीवामृत बीजामृत की जानकारी दी गई। जैविक कीटनाशकों के अंतर्गत गौमूत्र एवं नीमपत्ती पांच पत्ती काढ़ा, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं आग्नेयास्त्र की जानकारी दी गई। केचुआ खाद निर्माण की सामान्य एवं चार गड्ढा विधि का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया तथा प्रायोगिक कार्य हेतु निर्मित संरचनाओं का विद्यार्थियों को अवलोकन कराया गया।