मुद्दा : विधायक प्रतिनिधि - कोई संवैधानिक पद नहीं

शिवपुरी ( हरीश मिश्र) शिवपुरी जिले के खनियाधाना पुलिस थाने में "विधायक प्रतिनिधि" नियुक्त करने के लिए भाजपा विधायक प्रीतम लोधी द्वारा जिला कलेक्टर को पत्र लिखे जाने पर संवैधानिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़ा हो गया है।
विधायक द्वारा इंदल लोधी, कुन्दौली, को खनियाधाना थाने में "विधायक प्रतिनिधि" के रूप में नियुक्त करना असंवैधानिक है। भारतीय संविधान और प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार, विधायक को इस प्रकार के अधिकार नहीं है। संविधान का अनुच्छेद 50 में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच प्रशासनिक कार्यों की सीमा रेखा स्पष्ट है।
पुलिस थाना , नगर निगम, अस्पताल, जिला पंचायत और अन्य प्रशासनिक संस्थाओं में नियुक्ति का अधिकार केवल राज्य सरकार और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को है। विधायकों का इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
"विधायक प्रतिनिधि" का कोई संवैधानिक प्रावधान या कानूनी आधार नहीं है। यह एक अनौपचारिक पद है, जिसे विधायक अपने निजी कार्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसे सरकारी मान्यता नहीं दी जा सकती।
कानूनी और प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि विधायकों द्वारा इस प्रकार का पत्र लिखना और नियुक्तियां संविधान के मूल सिद्धांतों और प्रशासनिक प्रक्रिया के खिलाफ है। यह कार्यपालिका की स्वायत्तता में हस्तक्षेप के समान है। यदि इस प्रकार की मांगों को स्वीकार किया जाता है, तो यह न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करेगा, बल्कि संवैधानिक प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा।