धनिया की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर दिया गया बल

विदिशा जिले के ग्राम उन्नति एवं राष्ट्रीय स्थायी मसाला कार्यक्रम (एनएसएसपी) के सहयोग से पीएनबी किसान प्रशिक्षण संस्थान में धनिया फसल पर एक टीओटी (ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एनएसएसपी के प्रोफेसर एवं मुख्य प्रशिक्षक डॉ. तखत सिंह राजपुरोहित ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन अपनाने के लाभ बताए। उन्होंने कहा कि इससे कम लागत में गुणवत्तापूर्ण खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जलवायु अनुकूल खेती करने की सलाह दी। इसके साथ ही उन्होंने मृदा एवं जल संरक्षण, प्रमाणित बीजों का उपयोग और ट्राईकोडर्मा द्वारा मिट्टी व बीज उपचार पर जोर दिया। अन्य जैविक उपाय जैसे नीम आधारित स्प्रे, वर्मी कम्पोस्ट, वर्मीवाश, और पंचगव्य के उपयोग की भी जानकारी दी।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक श्री केएस खपेड़िया ने किसानों को फसल विविधिकरण योजना के तहत गेहूं से धनिया की फसल में बदलाव करने का सुझाव दिया। उन्होंने फसल चक्र अपनाने और अधिक आय वाली फसलें, जैसे धनिया की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने मिट्टी और पानी परीक्षण के आधार पर सही फसलें, किस्में, और उर्वरकों के उपयोग पर चर्चा की।
कृषि विज्ञान केंद्र रायसेन वैज्ञानिक (बागवानी विभाग) डॉ. मुकुल विश्नोई ने किसानों को मसाला, औषधीय और बागवानी वाली फसलों के महत्व और उनके उन्नत खेती के तरीकों की जानकारी दी। ग्राम उन्नति परियोजना संचालक श्री सुशील यादव ने किसानों को धनिया फसल पर आधारित पीपीटी, पीओपी (पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज) के माध्यम से फसल को हानिकारक कीट एवं रोगों से बचाव के उपाय बताए। उन्होंने धनिया की कटाई के बाद की देखभाल और उन्नत ग्रेड (डबल, सिंगल पैरेट, ईगल, स्कूटर आदि) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कार्यक्रम मके उपरांत विदिशा ब्लॉक के भौरिया गांव में धनिया के खेतों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान किसानों को फसल की अतिरिक्त देखभाल , कीट एवं रोग नियंत्रण, और फसल सुरक्षा उपायों पर जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में विदिशा और ग्यारसपुर ब्लॉक के 25 गांवों से 57 किसानों ने भाग लिया। राष्ट्रीय स्थायी मसाला कार्यक्रम की ओर से धनिया एनएसएसपी खेत डायरी और ग्राम उन्नति की तरफ से धनिया व मटर की पीओपी वितरित की गई। धनिया फसल में बेहतर प्रदर्शन करने वाले मौजूदा और स्टार्ट-अप किसानों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम में धनिया पर आधारित विभिन्न प्रकार के कोलैटरल, पोस्टर, आईपीएम (एकीकृत कीट प्रबंधन) प्रथाएं, धनिया की कीमत निर्धारित करने वाले मापदंड, धनिया की उन्नत ग्रेड (डबल, सिंगल पैरेट ग्रेड) और कीट एवं बीमारियों की रोकथाम प्रमुख आकर्षण रहे। किसानों ने धनिया की उन्नत खेती से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए ग्राम उन्नति एवं राष्ट्रीय स्थायी मसाला कार्यक्रम का आभार व्यक्त किया।