दिव्य चिंतन (हरीश मिश्र)

स्पेन और दुनिया के कई देशों में बुलफाइटिंग एक प्रसिद्ध खेल है, जिसमें सांड को लाल रंग का कपड़ा दिखाकर उकसाया जाता है। 
2014 से विदेशी शक्तियां और राज्यसत्ता के लोभ में विपक्षी दल भारत में बुलफाइटिंग का घिनौना खेल खेल रहे हैं।

      मोदी सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया है, जो वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करता है।

    मोहब्बत की दुकान के वारिस पठान नरसिम्हा सरकार ने 1995 में वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान की थीं। शक्तियां प्राप्त होते ही बोर्ड के कुछ भ्रष्ट सदस्य अरबों रुपए की संपत्ति पर टूट पड़े। उन्हें अपने समुदाय के गरीब, लाचारों के भूखे पेट दिखाई नहीं दिए। जो शक्ति मिली, उसे स्वच्छंदता का लाइसेंस समझ बैठे।

     बोर्ड के कुछ सदस्यों द्वारा देश भर में वक्फ संपत्तियों से प्राप्त आय का दुरुपयोग किया गया। भ्रष्टाचार किया और गैर-मुस्लिमों की वाणिज्यिक संपत्ति, आवासीय संपत्ति पर दावा कर कब्जा करना शुरू कर दिया । जिससे देश भर में सामूदायिक विवाद और आपसी मतभेद की स्थितियां बनने लगीं।

    इस्लाम की मान्यता अनुसार, वक्फ दान है और दान न्यायोपार्जित ईमान की रकम से स्वैच्छिक रुप से किया जाता है, जबरन कब्जा कर नहीं लिया जा सकता।  

   इस्लामिक कानूनविद् अफजल बानी के अनुसार "हज़रत उमर ने पैगंबर मोहम्मद से पूछा था कि मैं अपनी ईमान की आय से प्राप्त संपत्ति समुदाय के हित में देना चाहता हूं ...तो उन्होंने बताया था कि आप इस संपत्ति को वक्फ ( दान )  कर दो और इसका जो फ़ायदा होगा वो गरीब ज़रूरतमंदों के इस्तेमाल के लिए होगा। "

    अनपढ़, गरीब, और कमजोर, आदमजाद  समुदाय को विपक्ष और कट्टरपंथी उकसा रहे हैं कि वक्फ एक्ट में संशोधन करके मोदी सरकार के द्वारा मुसलमानों के कब्रिस्तान, मस्जिदें, और अन्य संपत्तियां छीन ली जाएंगी । यह दोषारोपण कर देश की शांति व्यवस्था भंग करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। जबकि वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है।

   उम्मीद पर दुनिया टिकी है, उम्मीद है, इस संशोधन के बाद वक्फ  बोर्ड  सदस्यों को पाई-पाई का हिसाब ईमानदारी से देना होगा। यदि हिसाब पाई-पाई का होगा तो मुस्लिम समुदाय के बच्चों के सपने पूरे हो सकेंगे। उनके कंधे पर बस्ता, हाथों में कलम , टिफिन में घी लगी रोटी , होठों पर मुस्कान और पांव की बिवाईयों और पिण्डलियों की सड़पन से मुक्ति मिलेगी। हां ये जरूर है कि बोर्ड के सदस्यों के पांव की बिवाइयां फटेंगी , उनमें जलन भी होगी। गरीब का हिस्सा, अधिकार वापस देने के कारण अंतड़ियां
फंस रही हैं, इसलिए भोले भाले मुस्लिम भाइयों की भावनाओं को भड़काया जा रहा है।

    वक्फ एक्ट में संशोधन कर बोर्ड की विसंगतियों को दूर किया जा रहा है। वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियों का मूल्यांकन करने के लिए जिला कलेक्टरों के दफ्तर में पंजीकरण कराना होगा। किसी भी वक्फ की संपत्ति का पंजीकरण कराने में दिक्कत क्या है ? निजी संपत्तियों का भी तो रजिस्टर कार्यालय में पंजीकरण, तहसील में नामांतरण और नगर पालिका से निर्माण अनुमति लेते हैं। संशोधन में महिलाओं को भी शामिल किए जाने की बात कही जा रही है।
मुस्लिम समुदाय को समझना होगा कि  धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए वक्फ की गई  संपत्तियों से  प्राप्त करोड़ों रुपए की आय का इस्तेमाल वक्फ बोर्ड के हुक्मरान समाज,शिक्षा और गरीबों की मदद ना करके भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

   आजादी के बाद से संविधान में 103 संशोधन किए गए हैं, जिनमें से 62 संशोधन कांग्रेस ने किए हैं। यदि 104 वां संशोधन हो जाएगा तो संवैधानिक ही होगा।

   जो भी दल सरकार में होता है, वह देशहित और राजनैतिक लाभ के लिए संसद में चर्चा कर संशोधन करता है। भारत में कोई भी सरकार, चाहे वह कांग्रेस हो, भाजपा हो, आप हो या तृणमूल कांग्रेस, धर्म, पंथ, समुदाय के पवित्र ग्रंथों, धार्मिक स्थलों में छेड़छाड़ या फेरबदल नहीं करती। यही इस मुल्क की खूबसूरती है। सरकारें संविधान में ही संशोधन करती हैं। जो उनका अधिकार है। बस, इस बात को समझना होगा। हर बात पर आलोचना, टोका-टाकी अनुचित होती है।

लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार)