वैज्ञानिकों ने बेहतर खेती करने के दिये किसानों को टिप्स

बुरहानपुर । कम लागत में खजूर की खेती करके अधिक लाभ कमा सकते है। इसमें कीट व रोग कम लगते है। इसके साथ ही खजूर की खेती में अंतरवर्तीय फसलें जैसे-प्याज, तरबूज, सब्जियाँ लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। यह बात आज परमानंद गोविंजीवाला ऑडिटोरियम में आयोजित कृषि विज्ञान मेला में केन्द्रीय नींबूवर्गीय अनुसंधान संस्थान नागपुर के फल वैज्ञानिक डॉ.दर्शन एम.कदम ने कही। उन्होंने उद्यानिकीय फसलों की चुनौतियाँ, समाधान एवं संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी देकर किसानों को लाभान्वित किया। उन्होंने कहा कि नींबूवर्गीय फसलों में भूमि, मृदा पीएच के साथ-साथ रोग मुक्त मातृ पौधों का चयन अवश्य करें। जैन इरिगेशन से आये वैज्ञानिक डॉ.के.बी.पाटील द्वारा केला उत्पादन की आधुनिक तकनीक एवं कीट बीमारियों से सुरक्षा पर विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि केले में लगने वाले घातक रोग फ्यूजेरियम आक्सीस्पोरियम क्यूबेन्स विस्ट जो कि मृदा जनित रोग है। जिसमें पौधे के पत्ते पीले तथा तना बीच से फट जाता है। जिससे उत्पादन में काफी कमी आती है। इस रोग के निदान के लिए किसान केला फसल की बोवाई अगस्त के अंतिम माह से दिसम्बर तक कर सकते है। किसान फसल चक्र में पपीता, काबूली चना लगाये। इससे रोग को काफी हद तक कम किया जा सकता है। विदित है कि कृषि तकनीकि प्रबंधन समिति (आत्मा), उद्यानीकि एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 8 से 9 मार्च तक दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेेला का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान मेले के द्वितीय दिवस के अवसर पर प्राकृतिक खेती, उद्यानिकी फसलों की चुनौतियाँ, समाधान एवं संभावनायें के बारे में विस्तृत रूप से किसानों को जागरूक किया गया। बुरहानपुर में केले के साथ नींबूवर्गीय फलों तथा नवाचार के तहत खजूर व अंजीर की खेती होगी। दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेला के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र इंदौर के उद्यानीकि वैज्ञानिक डॉ. डी.के.मिश्रा द्वारा पपीता, तरबूज, प्याज और मिर्ची उत्पादन की तकनीकि के संबंध में परिचर्चा की गई। उन्होंने कहा कि किसान बाजार की मांग के अनुसार फसलों का उत्पादन करके अधिक आय प्राप्त कर सकते है। वर्तमान में प्रचलित खेती के साथ-साथ किसान चुकन्दर, गाजर, मीठानीम, सुरजना, धतूरा, बेलपत्र की खेती भी कर सकते है। नर्सरी वाली फसले जैसे-प्याज, लहसुन, में सल्फर का उपयोग अवश्य करें। उन्होंने बताया कि किसान मिर्ची में लगने वाले वायरस की रोकथाम नर्सरी अवस्था से ही कर सकते हैं। इसके लिए किसान नर्सरी में मच्छर दानी एवं प्लास्टिक नेट का उपयोग करें। सलिहा डेट्स तमिलनाडु़ के वैज्ञानिक डॉ.निजामुद्दीन द्वारा बताया गया कि, खजूर की खेती रेतिली, लाल मिट्टी, जल निकास युक्त वाली मृदा में आसानी से कर सकते है। एक एकड़ में खजूर के 76 पौधे आते है। शुरूआती तौर पर 10 पौधे लगाकर किसान 10 हजार रूपये प्रति पौधे से लाभ कमा सकते है। कृषि विज्ञान मेला कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं बुरहानपुर विधायक श्रीमती अर्चना चिटनीस ने अपने संबोधन से उपस्थित कृषकजनों को लाभान्वित किया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, जिले के प्रगतिशील किसान, परियोजना संचालक आत्मा, उद्यानिकी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त अधिकारीगण मौजूद रहे। जिले में आयोजित दो दिवसीय किसान विज्ञान मेला निश्चित ही जिले के किसानों के लिए लाभदायक रहा।