कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता द्वारा नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

खंडवा कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता द्वारा नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ का उदेश्य ऐसे ग्रामों में जागरूकता फैलाना है, जिनमें पिछले वर्ष फसल अवशेष जलाने की घटना घटित हुई थी एवं इस वर्ष नरवाई में आग जलाने की घटनाऐं दर्ज की जा रही हैं। रथ के द्वारा नरवाई प्रबंधन संबंधित आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोगिता के बारे में सूचना प्रदाय की जायेगी। गौरतलब है कि पिछले वर्ष में खंडवा जिले में 136 घटनाऐं दर्ज की गई थीं। प्रचार रथ के द्वारा नरवाई के उचित प्रबंधन हेतु प्रचार-प्रसार किया जायेगा। माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिबूनल के निर्देश क्रम में वायु प्रदूषण एवं संरक्षण अधिनियम, 1981 अंतर्गत फसलों की कटाई उपरान्त फसल अवशेष को जलाये जाने को जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। फसल अवशेष जलाये जाने पर व्यक्ति/निकाय को प्रावधान अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि दण्ड स्वरूप संबंधित व्यक्ति/निकाय से वसूल की जायेगी। जिसके अंतर्गत कृषि भूमि 2 एकड़ से कम को 2500रू., कृषि भूमि 2 एकड़ से 5 एकड़ को 5000रू., कृषि भूमि 5 एकड़ से अधिक को 15000रू. राशि वसूल की जायेगी।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, खेत में मौजूद केंचुए मर जाते हैं, जमीन में लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता कम हो जाती है, फसलों की पैदावार में कमी हो जाती है। फसल अवशेष प्रबंधन अंतर्गत रोटावेटर, श्रेडर, मल्चर आदि आधुनिक यंत्रों की सहायता से फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाये, कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ अनिवार्य रूप से स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएएम) अथवा भूसा मशीन (स्ट्रारीपर) का प्रयोग करें। जिससे फसल आवशेष जलाने की आवश्यकता नही पड़ेगी। फसल अवशेष युक्त खेत में जायद फसल बोने हेतु हैप्पीसीडर/सुपरसीडर से सीधी बुआई करें। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के कई फायदे हैं। इससे खेत की जलाधारण क्षमता बढ़ती है। खेत में जीवांश की मात्रा बढ़ने से लाभदायक जीव केंचुआ आदि पनपते हैं। खेत उपजाउ बनता है।