फर्जी GST नंबर से बड़ा घोटाला,जानबूझकर विभाग ने मूंदी आंखे

फर्जी जी एस टी नंबर से पोषण आहार परिवहन घोटाला—
महिला एवं बाल विकास विभाग में भ्रष्टाचार
रायसेन- महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत दस्तावेजों की जांच में एक और सरकारी फर्जीवाड़ा सामने आया है। बेगमगंज तहसील की एकीकृत बाल विकास परियोजना के तहत वितरित हो रहे पोषण आहार के परिवहन कार्य में एक फर्म द्वारा फर्जी जी एस टी नंबर का इस्तेमाल किया गया है, जिससे विभागीय पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग गए हैं।
फर्म और फर्जी नंबर की कहानी
परियोजना अधिकारी, बेगमगंज द्वारा अवंतिका इंटरप्राइजेज, जमुनिया गोड़ाखोह को वर्ष 2024 से पोषण आहार परिवहन का कार्य सौंपा गया है। फर्म द्वारा प्रस्तुत बिलों में नंबर — 34GRLS4574BIYL दर्ज है, जो प्रारंभिक जांच में ही संदेह के घेरे में आ गया।
जी एस टी कानून की कसौटी पर फेल
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत प्रत्येक करदाता को 15 अंकों की एक विशिष्ट जी एस टी पहचान संख्या दी जाती है। पहले दो अंक राज्य कोड होते हैं, जैसे मध्यप्रदेश के लिए 23।अगली 10 संख्याएं करदाता के पैन से मेल खाती हैं।13वां अंक पंजीकरण क्रमांक, 14 वां 'Z' और 15वां चेकसम डिजिट होता है।
जब इस फर्म द्वारा प्रस्तुत जी एस टी नंबर की जांच की गई, तो वह केवल 14 अंकों का निकला — तकनीकी रूप से अवैध। इसके अलावा, इसका प्रारंभिक कोड 34 दर्शाता है कि यह पुडुचेरी राज्य से संबंधित है, जबकि फर्म का संचालन मध्यप्रदेश के रायसेन जिले से हो रहा है। जी एस टी अधिनियम की धारा 122 के अनुसार, फर्जी जी एस टी नंबर का उपयोग करने पर ₹10,000 या कर की राशि (जो भी अधिक हो) का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, धारा 132 के तहत यह गंभीर दंडनीय अपराध है, जिसमें दोष सिद्ध होने पर जेल की सजा का भी प्रावधान है।
विभाग की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह
सबसे गंभीर प्रश्न यह है कि फर्जी जी एस टी नंबर के बावजूद यह फर्म लंबे समय से भुगतान कैसे प्राप्त कर रही है ? क्या परियोजना अधिकारी अथवा जिला महिला एवं बाल विकास कार्यालय ने देयकों की वैधता की जांच नहीं की ? अथवा यह चूक जानबूझकर की गई ?
विभाग के भीतर मिलीभगत ?
यह प्रकरण एकबार फिर बताता है कि सरकारी विभागों में दस्तावेजों की सतही जांच किस तरह भ्रष्टाचार को संरक्षण देती है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर भुगतान दर्शाता है कि विभागीय ऑडिट और पारदर्शिता प्रणाली केवल कागजों तक सीमित रह गई है।
अब यह देखना शेष है कि प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है — निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कार्रवाई या परंपरागत चुप्पी? - हरीश मिश्र