जीरोटिलेज तकनीक से लगाई गई गेहूं की उन्नत किस्मों का कृषि अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में फसल कटाई प्रयोग संपन्न

छिंदवाड़ा । कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह के निर्देशानुसार आज विकासखंड छिंदवाड़ा के ग्राम सलैया, सोनापिपरी, खमरा एवं विकासखंड चौरई के ग्राम चांद में उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ नरवाई प्रबंधन के अंतर्गत गेहूं फसल की कटाई का अवलोकन किया । ग्राम सलैया में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि विभाग, कृषि अभियांत्रिकी एवं बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया जबलपुर द्वारा कृषक श्री संजीव रघुवंशी के खेत में गेहूं की नवीनतम किस्में HI-1634, HI-1636, DBW-303, DBW-187, GW-451 जिनकी जीरोटिलेज तकनीक के अंतर्गत सुपर सीडर के माध्यम से खरीफ फसल धान की कटाई के बाद फसल के अवशेष प्रबंधन करते हुए सीधी बोनी की गई थी। फसल की विभिन्न किस्मों की फसल कटाई कृषि अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं क्षेत्र के कृषकों के समक्ष की गई। फसल कटाई में प्रयोग DBW-187 (करण वंदना) का 73.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, GW-451 का 69.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, DBW-303 का 67.5 क्विटल प्रति हेक्टेयर, HI-1636 का 66.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, HI-1634 का 59.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त हुआ हैं। किसानों ने मौके पर ही फसल विश्लेषण के बेहतर परिणाम देखे और इस तकनीक को अपनाने के प्रति उत्साहित नजर आए। यह प्रयास न केवल फसल उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि मृदा संरक्षण, जल बचाव और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात तकनीकी सहायक बीसा श्री दीपेन्द्र सिंह ने कही। यह कार्यक्रम किसानों के लिए एक प्रेरणादायक कदम साबित हुआ, जो भविष्य में सतत और लाभकारी कृषि की दिशा में योगदान देगा।
भ्रमण के इसी क्रम में ग्राम सोनापिपरी के कृषक श्री राघवेन्द्र रघुवंशी के द्वारा सुपर सीडर के माध्यम से गेहूं फसल के अवशेष प्रबंधन के साथ मूंग फसल की सीधी बोनी का अवलोकन किया गया। कृषक श्री राघवेन्द्र रघुवंशी के द्वारा बताया गया कि वर्तमान में फसल 1.5 माह की अवधि की है। पूर्व वर्ष में कृषक के द्वारा पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण तीसरी फसल नहीं ली जा सकी थी। इस तकनीक के माध्यम से कृषक द्वारा उपलब्ध नमी का उपयोग करते हुए मूंग फसल की बोनी की गई हैं। कृषक द्वारा बताया गया कि ग्राम सोनापिपरी में सुपर सीडर आने के बाद ग्राम में लगभग 60 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में मूंग की तीसरी फसल लगाई गई हैं। कृषक ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यह कहा कि सुपर सीडर से सीधी बोनी तकनीक से प्राप्त फसल हमें बोनस के रूप मे प्राप्त हो रही हैं। डीन उद्यानिकी महाविद्यालय चंदनगांव डॉ.आर.सी. शर्मा द्वारा तकनीक की उपयोगिता बताते हुए क्षेत्र के किसानों को कास्त लागत को सीमित करने, मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण स्वास्थ्य की
दृष्टि से कारगार साबित है, किसानों को नरवाई मे आग न लगाने और खरीफ, रबी दोनों सीजन में नरवाई प्रबंधन करने के लिए प्रेरित किया।
विकासखंड चौरई के ग्राम चांद में कृषक श्री प्रवेश रघुवंशी के द्वारा सुपर सीडर के माध्यम से गेहूं के फसल अवशेष का निस्तारण करते हुए मूंग की सीधी बोनी कृषि वैज्ञानिकों, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि एवं कृषकों के समक्ष की गई। कृषक श्री प्रवेश रघुवंशी के द्वारा बताया गया कि गत दो वर्षो से लगातार इस तकनीक का उपयोग करके मक्का फसल के बाद गेहूं व सरसों की बोनी और गेहूं फसल के बाद मूंग फसल की बोनी की गई है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे है। तकनीकी उपयोग से फसल कटाई के बाद नरवाई प्रबंधन करते हुए खेत तैयारी, रोटावेटर, सीधी बोनी आदि गतिविधियां एक साथ की जा रही है, जिससे समय की बचत के साथ ही कास्त लागत में कमी आई हैं। जबकि उत्पादकता के बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे है।
कृषक श्री प्रवेश रघुवंशी द्वारा बताया गया कि स्वयं के खेत में सुपर सीडर तकनीक के साथ ही क्षेत्र के अन्य कृषकों के यहॉं उनके द्वारा खरीफ सीजन में 1500 एकड़ एवं रबी सीजन में 2500 एकड़ में नरवाई प्रबंधन का कार्य कर फसलों की सीधी बोनी की गई है। यह तकनीक की उपयोगिता को देखते हुए किसानों द्वारा लगातार तकनीक को अपनाया जा रहा हैं।
कृषक श्री प्रवेश रघुवंशी द्वारा ग्राम चांद के ही अन्य खेत जिसमें सरसों के बाद सुपर सीडर के माध्यम से सरसों फसल की नरवाई का प्रबंधन कर मूंग की फसल की सीधी फसल बोनी की गई है, का अवलोकन कराया गया।
उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा गेहूं फसल कटाई के बाद सुपर सीडर/हैप्पी सीडर कृषि यंत्र से खेत में बचे शेष फसल अवशेषों का प्रबंधन कर भूमि उर्वरकता बढाने के साथ ही आगामी फसल की सीधी बोनी के फायदे के संबंध में किसानों को समझाईश दी गई। भ्रमण में उपस्थित वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र चंदनगांव डॉ.डी.सी. श्रीवास्तव द्वारा किसानों से अपील की गई कि किसान नरवाई का प्रबंधन कर मृदा स्वास्थ्य सुधार एवं खेती की लागत को कम करें। प्रगतिशील कृषक श्री मेरसिंह चौधरी द्वारा प्रकृति संरक्षण को लेकर विभाग द्वारा किये जा रहे कार्य की सराहना करते हुए जिले के किसानों द्वारा इस मुहिम को बढाने की बात कही। जिले में विभाग के प्रयास से नित नवाचार किसानों द्वारा किये जा रहे है, इसको अपनाते हुए फसल की उत्पादकता बढाने की बात किसानों के समक्ष रखी।
भ्रमण के दौरान उप संचालक कृषि के साथ डीन उद्यानिकी महाविद्यालय चंदनगांव, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र चंदनगांव, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री नीलकंठ पटवारी, सहायक संचालक कृषि श्रीमती सरिता सिंह, श्रीमती प्राची कौतू, श्रीमती अंकिता धोटे, उप यंत्री अश्विनी सिंह, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी छिंदवाड़ा श्रीमती श्रद्धा डेहरिया, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी चौरई श्री उमेश पाटिल, कृषि विस्तार अधिकारी, सीईओ भूमिजा फार्मर प्रोडूसर कंपनी लिमिटेड श्री प्रदीप चौरसिया, जनप्रतिधि श्री मेरसिंह चौधरी, प्रगतिशील कृषक श्री तेजपाल चंद्रवंशी, श्री धारा सिंह रघुवंशी, श्री ज्वाला पटेल, श्री प्रवेश रघुवंशी, श्री जितेन्द्र रघुवंशी, श्री राघवेन्द्र रघुवंशी उपस्थित थे।