भोपाल । सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों की तरह फर्राटेदार इंग्लिश बोलें और उन्हें भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्ञान हो इसके लिए कुछ युवाओं ने अनूठी पहल की है जिसके तहत सरकारी स्कूलों को गोद लेकर उसमें डिजिटल क्लासें तैयार की जा रही है ताकि यहां आनेवाले बच्चे भी किसी से कम नहीं रहे। फिलहाल मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों में करीब 500 स्कूलों में डिजिटल क्लास रूम तैयार किए गए हैं युवाओं द्वारा इस टॉरगेट को 5000 स्कूलों तक पहुंचाने का है जिसकी शुरुआत भी ग्वालियर शहर से की गई है।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के एक युवा कंप्यूटर इंजीनियर अभिषेक दुबे ने कमजोर वर्ग और गरीब जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने के लिए मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन की स्थापना की जिसके तहत अब सरकारी स्कूलों को गोद लेकर उनके क्लास रूम को स्मार्ट क्लास रूम बनाया जा रहा है अच्छी बात यह है कि ये संस्था केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेश जैसे उत्तरप्रदेश महाराष्ट्र दिल्ली राजस्थान सहित मध्यप्रदेश मिलाकर कुल 5 राज्यों में डिजिटल क्लासरूम तैयार कर चुकी है इनका टारगेट ऐसे स्कूल रहते हैं जो झुग्गी बस्तियों या स्लम इलाके में स्थित हों ताकि वहां के बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाने से वे जल्दी कुछ सीख जाएं। इस संस्था द्वारा बच्चों के लिए की गई अनूठी पहल के चलते कई नामी कंपनियां भी संस्था का सहयोग करने में आगे आ रही है।
बताया जा रहा है कि मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन की शुरूआत 2017 में की गई थी उस दौरान बच्चों को स्टेशनरी मुहैया कराने के साथ ही उन्हें पढ़ाया जाता था तभी एक दिन अचानक ख्याल आया कि क्यों न स्कूलों में ही डिजिटल क्लासें खोल दी जाए बस फिर धीरे-धीरे इसी प्लान पर काम करते हुए सरकारी स्कूलों को गोद लेकर वहीं डिजिटल क्लास रूम बनाना शुरू कर दिया। जिसके लिए स्कूलों में स्मार्ट टीवी कंप्यूटर और टेबलेट के माध्यम से पढ़ाई शुरू कराई गई। सबसे पहले चीनौर के मिडिल स्कूल को स्मार्ट स्कूल के बनाया फिर 2018 में ग्वालियर के 100 स्कूलों में डिजिटल क्लास रूम बनाए गए इसी तरह आगे बढ़ते हुए इंदौर और फिर अन्य प्रदेशों में भी 100-100 स्कूल डिजिटल बनाए गए। अच्छी बात यह है कि बच्चों से यहां पढऩे की कोई फीस नहीं ली जाती है इस कारण उन पर फी का भी कोई प्रेशर नहीं रहता है और वे अच्छे से मन लगाकर पढ़ते हैं।
ऐसे तैयार होता है डिजिटल क्लास रूम
-सरकारी स्कूलों को गोद लेकर पहले बड़े रूम का चयन करना।
-उनकी मरम्मत कराने के साथ ही सौंदर्य के लिए पेड़-पौधे लगाने के साथ महापुरुषों की पेंटिंग लगाना।
-क्लासरूम में एलइडी टीवी कम्प्युटर और प्रोजेक्टर लगाए जाते हैं।
-बच्चों के बैठने के लिए भी कुर्सी और टेबलों की व्यवस्था की जाती है।
-शिक्षकों को भी बेहतर प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे भी अपने स्कूल के बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान कर सकें।
मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन के संस्थापक अभिषेक दुबे ने बताया कि हमारा टारगेट प्रदेश में 2025 तक करीब 5000 स्कूलों को डिजिटल स्कूल बनाना है जिसके लिए हम सतत काम कर रहे हैं।