कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने बताये अरबी फसल में झुलसा रोग प्रबंधन के उपाय

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़ एवं जयपाल छिगारहा द्वारा अरबी फसल का अवलोकन किया गया। अवलोकन के दौरान अरबी की पत्तियों पर झुलसा (फाइटोफ्थोरा ब्लाइट) रोग के लक्षण देखे गये।
वैज्ञानिकों ने अरबी की पत्तियों पर झुलसा रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि फसल में झुलसा रोग के कारण अरबी की पत्तियों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं और पत्तियाँ गलकर नीचे गिर जाती हैं, जिससे फसल की बढ़वार और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लगातार बरसात होने के कारण वातावरण में आर्द्रता और तापक्रम बढ़ जाता है, जिससे इस बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है और उत्पादन भी प्रभावित होता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस रोग के प्रबंधन हेतु फसल में उचित जल निकास की व्यवस्था करें और रोग के लक्षण देखने पर मैंकोजेब दवा 2.5 ग्रा./ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें और उसके 20 से 25 दिन बाद मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत $ मैंकोजेब 64 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. दवा 2 ग्रा./ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। दवा का छिड़काव करने के 3-4 घंटों तक बरसात नहीं होनी चाहिए, जिससे दवा का अच्छा असर हो सके। फसल में ज्यादा घास-फूस रहने से कीड़े-बीमारियाँ फैलने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए फसल की निंदाई कर फसल को साफ-सुथरी रखना चाहिए।