कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ द्वारा किसानों के यहाँ समूह दलहन अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का खेतों पर भ्रमण किया गया है। यह भ्रमण कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी. एस. किरार मार्गदर्शन में साथ ही केंद्र के वैज्ञानिक, डॉ. आर. के. प्रजापति, डॉ. एस. के. जाटव, एवं जयपाल छिगारहा के साथ किया गया। इस प्रदर्शन का निरीक्षण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, भोपाल से डॉ. सरजू पालेवार, तकनीकी सहायक द्वारा किया गया।
इस निरीक्षण में सरजू पालेवार द्वारा किसानों के यहाँ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अंतर्गत समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन दलहन ग्राम नादिया, बिघा, कोडिया एवं लहुरगुवा में किसानों के खेतों पर जाकर उर्द के प्रदर्शन को देखा साथ ही किसानों को खेती से संबंधित जानकारी दी एवं उर्द में घास को नियंत्रण करने के लिए निदाई या गुड़ाई यदि अधिक मात्रा में खरपतवार हो गये हैं तो उस में रासायनिक घास नियंत्रण दवा का छिडकाव करे जिससे उत्पादन में भी वृद्धि होती है।  
भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे एप्प के माध्यम से कृषक बंधू कृषि जानकारी केसे ले सकते हैं उस के बारे में बताया। केंद्र के वैज्ञानिक एवं समूह दलहन प्रभारी डॉ. एस. के. जाटव द्वारा प्रदर्शन में दी गई उर्द की किस्म इंद्रा उर्द प्रथम के बारे में बताया यह किस्म अधिक उत्पादन एव पीला मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी होती हैं। यह रोगों के लिए प्रतिरोधी है। केंद्र के वैज्ञानिक आर. के. प्रजापति द्वारा बताया की लगातार बारिश होने पर सर्काेस्पोरा पर्ण दाग रोग और एन्थ्रेक्नोज रोग इन रोगों से पत्तियों पर गहरे भूरे धब्बे बनते हैं, यह धब्बे फैलते हुए शाखाओं और फलियों पर भी पड़ जाते हैं, इनसे बचाव के लिए टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत ईसी 250 मिली. या टेबुकोनाजोल 10 प्रतिशत $ सल्फर 65 प्रतिशत डब्ल्यूजी 600 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत $ मैंकोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी की मात्रा 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दवा के प्रभावी असर हेतु छिड़काव के 3-4 घंटे तक बरसात नहीं होना चाहिए। गाँव के प्रगतिशील किसान अमरचंद प्रजापति ग्राम बिघा एवं संजय प्रताप बुंदेला ग्राम कोड़िया भी उपस्थित रहे।