फसलों की स्थिति एवं कीट व्याधि के नियंत्रण हेतु कृषकों को दी गई सलाह

दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर द्वारा दिये गये निर्देशों के तहत कृषि विभाग, कृषि वैज्ञानिक एवं राजस्व विभाग की संयुक्त टीम द्वारा पटेरा विकासखंड के ग्राम कुम्हारी, धनगुवां, मुहास, देवरी रतन, मजगुवां मौजा में कृषकों के खेत में जाकर कृषकों के साथ भ्रमण किया गया। विकासखण्ड पटेरा में संयुक्त टीम में तहसीलदार शैलेन्द्र बिहारी शर्मा, उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह राजपूत, कृषि वैज्ञानिक डॉ मनोज अहिरवार, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी डी.के. साहू, पटवारी, कृषि विस्तार अधिकारी बी.एस. आजवानी, राजीव खोसला एवं जनप्रतिनिधि, किसान संघ तथा समस्त ग्रामों के कृषक उपस्थित रहे।
इस दौरान पौधे के भूरे हॉपर का प्रबंधन हेतु कृषि विज्ञान केन्द्रज दमोह के वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषकों को समसामयिक सलाह दी गई। सलाह में कहा गया यदि संक्रमण ईटीएल से कम हैं तो 5 लीटर नीम बीज कर्नेल अर्क (एनएसकेई) या अज़ादिराच्टिन 1500 पीपीएम युक्त वाणिज्यिक नीम फॉर्मूलेशन @2.5 एमयू लीटर पानी या मेटारिज़ियम एनीसोप्लिए 1.15 प्रतिशत डब्ल्यूपी के साथ 1 x 108 सीएफयू/ग्राम (1 किलोग्राम/एकड़) @ 2-5 गिलास की दर से पौधों के आधार पर छिड़काव किया जा सकता हैं।
यदि कीट ईटीएल तक पहुंच गया है, तो CIBRC द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों में से किसी एक का उपयोग किया जाना चाहिए। इसमें एथिप्रोल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 93.75 ग्राम/हेक्टेयर या क्लोथियानिडिन 50 WDG @ 20-24 a.i/हेक्टेयर या डाइनोटेफ्यूरान 20% SG @ 150-200 ग्राम/हेक्टेयर या एथोफेनप्रोक्स 10% EC @ 500 ग्राम/हेक्टेयर या फ्लोनिकैमिड 50% WG @ 150 ग्राम/हेक्टेयर या पाइमेट्रोज़िन 50% WG @ 300 ग्राम/हेक्टेयर या थियामेथोक्सम 25 WG @ 100 ग्राम/हेक्टेयर या ट्राइफ्लुमेज़ोपायरिम 10% SC @ 250 ग्राम/हेक्टेयर की दर से उपरोक्त सूचीबद्ध कीटनाशकों में से किसी एक को इस्तेमाल किया जा सकता है और ज़रूरत के आधार पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
पत्तियों पर छिड़काव फसल के आधार की ओर किया जाना चाहिए और ज़रूरत के आधार पर इसे 7-10 दिनों के बाद फिर से दोहराया जाना चाहिए। प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव हेतु पानी की मात्रा हाथ से स्प्रे करने वाले नेपसेक स्प्रेयर के लिए 500 लीटर/हेक्टेयर और पावर स्प्रेयर के लिए पानी की मात्रा 200 लीटर/हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए।