खरगोन l वर्तमान में रबी की बुवाई चल रही है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके मिश्रित उर्वरकों का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है। जिले में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है। जिले में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का भण्डार उपलब्ध है। वर्तमान में जिले में यूरिया 14153 मेट्रिक टन, डीएपी 719 मेट्रिक टन, पोटाश 2588 मेट्रिक टन, एनपीके 5700 मेट्रिक टन एवं एसएसपी 20220 मेट्रिक टन उर्वरकांे की उपलब्धता है।    

      किसानों को सलाह दी गई है कि चने में अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसान फॉस्फोरस, पोटाश की समस्त मात्रा एवं नत्रजन चौथाई मात्रा बेसल डोस के रूप में देना सुनिश्चित करे। जिसके लिए 7.5 बैग एसएसपी एवं 01 बैग पोटाश या 03 बैग 12ः32ः16 या 02 बैग 20ः20ः0ः13 एवं 05 बैग एसएसपी के रूप में बुवाई के समय आवश्यक उपयोग करे। जिले की समस्त प्राथमिक समितियों एवं निजी विक्रेताओं के पास उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। डीएपी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में डीएपी के कई विकल्प है।      

      डीएपी में मुख्य रूप से दो ही तत्व होते है, जबकि मिक्स उर्वरकों में तीनों मुख्य तत्व मौजूद होते है। जिससे एक ही उर्वरक से तीनों मुख्य तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। इसके साथ ही अन्य सूक्ष्म पौषक तत्वों की उपलब्धता में भी वृद्धि होती है। यूरिया एवं डीएपी उर्वरकों के विकल्प के रूप में नैनों यूरिया एवं नैनों डीएपी का उपयोग कर सकते है। जिनका पर्णिय छिड़काव होने से मृदा की भौतिक दशा पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।    

        उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री एमएस सोलंकी ने बताया कि डीएपी उर्वरक के उपयोग से पौधों को केवल दो मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन एवं फास्फोरस ही प्राप्त होते हैं, जबकि फसलीय पौधों के लिए नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के साथ ही तीसरे पोषक तत्व पोटाश की भी आवश्यकता होती है और यह डीएपी में नहीं पाया जाता। एनपीके के इस्तेमाल से फसलीय पौधों में इन तीनों मुख्य तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। श्री सोलंकी ने बताया कि किसान यदि डीएपी का उपयोग करते हैं तो उन्हें फसल में पोटाश की पूर्ति के लिए अलग से पोटाशयुक्त उर्वरक की आवश्यकता होगी। इससे किसानों को लागत का अतिरिक्त भार भी वहन करना पड़ता है।          

उप संचालक कृषि ने किसानों को एनपीके के उपयोग की सलाह देते हुये कहा कि इससे पौधों के लिए जरूरी तीनों मुख्य पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सकती है। उन्होंने डीएपी और एनपीके उर्वरक की गुणात्मक तुलना करते हुए बताया कि एनपीके 12ः32ः16 में नाइट्रोजन, फास्फोउरस एवं पोटाश के साथ-साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कैल्शीयम, मैग्नीशीयम, सल्फर, आयरन, जिंक व एल्युमिनियम भी पाये जाते हैं, जबकि डीएपी में इन सभी द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का अभाव रहता है।