किसानों ने सीखा जैविक, आध्यात्मिक, यौगिक प्राकृतिक खेती के गुण

बालाघाट l राज्य मिलेट्स मिशन योजना अंतर्गत सेमीनार सह कार्यशाला का आयोजन रविवार को प्रजापिता ब्रम्हाकुमारीस कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग बॉटनिकल गार्डन रोड़ गर्रा में किया गया। जिसमें किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग बालाघाट, प्रजापिता ब्राम्हाकुमारीस ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं सहयोग संस्था, राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन, रूचि बायोकेमिकल जैविक ऑर्गेनिक फार्म द्वारा ब्रम्हाकुमारी नेचर फार्मिगं को प्रमोट करने एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को आध्यात्मिक, यौगिक खेती करने एवं मिलेट्स (श्रीअन्न) फसलों के उत्पादन बढाने के उद्देश्य से सेमीनार आयोजित किया गया। इस दौरान श्री राजू भाई द्वारा किसानों को मिलेटस् फसलों के महत्व के विषय पर अधिक लाभ के साथ-साथ मिलेट्स के गुणों के बारे में अवगत कराया गया। उन्होंने बताया गया कि माण्टआबू (राजस्थान) में आश्रम की जमीन में कम पानी वाला क्षेत्र होने के कारण मिलेट्स फसले ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी एवं रागी की फसल लगाया जाता है, तथा आश्रम में सभी के लिये नित्य एक बार मिलेट्स के पकवान बनाया जाता है। साथ ही यह भी बताया कि मिलेट्स फसल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगायी जाती है। इस फसल को शुष्क जलवायु और पानी, उर्वरकों और कीटनाशकों की न्यूनतम आवश्यकता होती है।
कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन, केशर बिसेन जिला पंचायत सदस्य, श्री रमेश रंगलानी पूर्व नपा परिषद अध्यक्ष, श्री राजेश कुमार खोबरागडे उप संचालक कृषि, डॉ. एनके बिसेन अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, डॉ. उत्तम बिसेन सहायक प्राध्यापक, श्री महेन्द्र ठाकुर रूचि बायोकेमिकल जैविक ऑर्गेनिक फार्म, ब्रम्हाकुमारीज कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी के कार्यकर्ता भाई, दीदी तथा कृषि विभाग अधिकारी/कर्मचारी एवं विकासखण्डों से आये कृषकों की उपस्थित रहें।
कम लागत में अधिक लाभ अर्जित कराती है प्राकृतिक खेती
कार्यक्रम के दौरान श्री श्री राजु भाई ने किसान को प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया गया। क्यूंकि इस पद्धति से मिलेट्स फसलों को लगाने से कम लागत में अधिक उपज के साथ आर्थिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। इसके साथ ही राज्य शासन द्वारा इस वर्ष 2024-25 में "रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना" के रूप में श्रीअन्न के बेहतर विपणन के लिये श्रीअन्न प्रोत्साहन कृषक उत्पादक संगठनों का महासंघ गठित कर इस वर्ष एफपीओ. के माध्यम से कोदो एवं कुटकी फसल का क्रय किया जाएगा। इसके लिये किसानों को इस वर्ष 20/- रूपये प्रति किलो की दर से कोदो और 30/- रूपये प्रति किलो की दर से कुटकी का भुगतान संबंधित एफ.पी.ओ. द्वारा किया जाएगा। राज्य शासन ऐसे किसानों को 10/- रूपये प्रति किलो की दर से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि डी.बी.टी. के माध्यम से भुगतान करेगी।
वरिष्ठ वैज्ञानिक के प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाने के मत
कार्यक्रम के दौरान में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.एल. राउत एवं प्रमुख ने प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाकर किसानों को मिलेटस के उपयोग को समझाते हुये बताया कि मिलेट्स में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है तथा यह मधुमेह की रोकथाम से भी जुड़ा होता है। यह आयरन, जिंक तथा कैल्शियम जैसे खनिजों का उपयुक्त स्रोत है। ग्लूटेन मुक्त होता है और सीलिएक रोग के रोगियों द्वारा इसका सेवन भी किया जा सकता है। श्री अन्न (मिलेट्स) वजन घटाने, बीएमआई और उच्च रक्तचाप में सहायक है। किसान भाई इसके उत्पादन से अधिक लाभ कमा सकते है तथा इसकी गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन महत्व व स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी। साथ ही किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा मिलेट्स फसलों की प्रदर्शनी के माध्यम से प्राकृतिक खेती पर प्रदर्शनी लगाई गई। रूचि बायोकेमिकल जैविक ऑर्गेनिक फार्म ऑर्गेनिक उत्पादों की प्रदर्शनी एवं एफ.पी.ओ. द्वारा चिन्नौर चांवल की प्रदर्शनी लगाई गई।