नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान

नरसिंहपुर l नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। मृदा का कार्बनिक पदार्थ कम होने के साथ- साथ नरवाई जलाने से मृदा के लाभकारी सूक्ष्म जीव भी नष्ट होते हैं। धान की कटाई के उपरांत नरवाई जलाने से गेंहूँ की बुवाई समय पर नहीं हो पाती, जिससे फसल पकने की अवस्था में तापमान बढ़ने से गेहूँ की फसल को अधिक तापमान से गुजरना पड़ता है और उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। इसके चलते खेत में केंचुए मर जाते हैं और लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता में भी कमी आती है, जिससे फसलों की पैदावार प्रभावित होती है। मृदा की उर्वरा शक्ति का हृास होता है।
फसल अवशेष जलाने की बजाय खाद बनाने में करे इस्तेमाल
फसल अवशेष जलाने के बजाय उसे खाद बनाने की सलाह दी कृषि विभाग द्वारा दी गई है। किसानों को सलाह दी गई कि वे फसल अवशेष को जुताई कर मिट्टी में मिलाएं और इससे नाडेप या वर्मी कंपोस्ट बनाएं। इससे खेत की जलधारण क्षमता बढ़ती है और उपजाऊ शक्ति में सुधार होता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार अब फसल कटाई के बाद नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस संबंध में जिला दंडाधिकारी नरसिंहपुर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 223 के तहत प्रतिबंध भी लगाया है।
राज्य शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के अंतर्गत जारी अधिसूचना के प्रावधानों के अनुपालन में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिसूचित किया गया है। मप्र में वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के तहत नरवाई जलाना तत्समय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है, जो वर्तमान में निरंतर है। पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना के अंतर्गत नरवाई में आग लगान वालों के विरूद्ध क्षतिपूर्ति के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। दो एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये, दो से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5 हजार रुपये और 5 एकड़ से बड़े कृषकों को 15 हजार रुपये का अर्थदंड प्रति घटना का प्रावधान किया गया है।