किसान भाईयों को फसलों में दवाइयों का छिड़काव करने की दी सलाह

खंडवा l किसान कल्याण तथा कृषि विकास उपसंचालक श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि मौसम विज्ञान केन्द्र भोपाल की जानकारी के अनुसार शीतलहर के कारण पौधे की पत्तियां व फूल झुलसते, बाद में झड़ जाते हैं। शीतलहर का अत्यधिक असर दलहनी-तिलहनी, धनिया, मटर व आलू की फसलों पर पड़ता है। दिसम्बर व जनवरी में रात के समय तापमान 4-5 डिग्री या इससे कम होता है तब धरातल के आसपास व फसलों-पौधों की पत्तियों पर बर्फ की पतली परत जम जाती है। इसी परत को पाला कहते हैं। पौधों की पत्तियों पर पाले का प्रकोप रात 12 से सुबह 4 बजे के पहर पर होता है। पाले से प्रभावित फसल व पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंद जमा हो जाती है, पत्तियों की कोशिका भित्ती फट जाती है जिससे पत्तियां सूखकर झड़ने लगती हैं।
कृषि उपसंचालक श्री वास्केल ने बताया कि पाले से बचाव हेतु रात्रि में खेत की मेड़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर धुंआ करें। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है, क्योकि खेतों में होने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की उष्मा भूमि तक पहुँचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इन पौधों को उखाड़ कर मल्चिंग करना भी तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त 8 से 10 कि.ग्रा. सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का भुरकाव अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 200 ग्राम या ग्लूकोस पाउडर 500 ग्राम या थायो यूरिया 500 ग्राम या पोटेशियम सल्फेट (0ः0ः50) 200 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। साइकोसिल 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। जिले में मावठा गिरने की सम्भावना है जिससे चना फसल में फूल गिरने की समस्या हो सकती है जिसके बचाव हेतु नेफ़्थाइल एसिटिक एसिड की 4.5 एम.एल. प्रति पंप छिड़काव करने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
जिले में कुछ स्थानों पर गेहूँ फसल में नीचे की पत्तियां पीली (एस्कोकाइटा लीफ़ स्पॉट), चना फसल में नीचे की पत्तियां पीली (एस्कोकाइटा लीफ़ ब्लाइट) पड़ने की समस्या देखने में आ रही है ऐसी समस्या होने पर बिक्साफेन 75 ग्रा./ली. प्रोथियोकोनाज़ोल 150 ग्रा./ली. का 50 एम.एल. प्रति पंप अथवा मेटालैक्सिल - एम. 3.3 प्रतिशत और क्लोरोथालोनिल 33.1 प्रतिशत का 2 एम.एल. प्रति लीटर का छिड़काव करे। गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप देखने में आ रहा है जिसके नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 40 प्रतिशत और इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 10 ग्राम प्रति पंप अथवा क्लोरपाइरीफॉस 50 ईसी मात्रा 1 लीटर प्रति एकड़ सिचाई पानी के माध्यम से देवे। मक्का फसल में फाल आर्मी वर्म का प्रकोप होने पर नोवलुरॉन 5.25 प्रतिशत और इंडोक्साकार्ब 4.5 प्रतिशत एस.सी. अथवा नोवालुरॉन 5.25 प्रतिशत और इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9 प्रतिशत एस.सी. 35 एम.एल. प्रति पंप के हिसाब से छिड़काव करे तथा ‘‘टी‘‘ आकर की 20 खुटियाँ प्रति एकड़ लगाने से भी कीट का नियंत्रण किया जा सकता है।
जिला कृषि मौसम ईकाई खण्डवा मौसम एवं कृषि विशेषज्ञ डॉ. सौरव गुप्ता ने बताया कि यह सभी जो दवाइयाँ बताई जा रही है, उनका अकेले ही छिड़काव करने की सलाह दी गई है। यदि अन्य कोई दवाइयाँ आपस में मिलाई जाती है तो अच्छे परिणाम मिल पाना संभव नहीं हो पाएगा।