दूसरे दिन भी मिलेट्स फूड फेस्टिवल में पहुंचे जिलेवासी

छिंदवाडा़ l जिला स्तरीय मिलेट्स फूड फेस्टिवल के दूसरे दिन भी जिलेवासी अपने परिवार के साथ पोला ग्राउंड छिंदवाड़ा में आयोजित मिलेट्स मेले में पहुंचे। इस दौरान जहां उन्होंने सभी स्टॉलों का भ्रमण कर अपनी पसंदीदा सामग्री खरीदी, तो वहीं दूसरी ओर रंगारंग कार्यक्रमों के बीच मिलेट्स से बने विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों जैसे रागी का सूप, श्रीअन्न खिचड़ी, खूद, महुए की पूड़ी, बाजरा बेसन लड्डू, संवा चावल एवं मूंग दाल का चीला, रागी की पौष्टिक मठरी, मिलेट्स से बने बिस्किट आदि का लुत्फ उठाया। आई लव मिलेट्स सेल्फी पॉइंट पर फोटो भी निकलवाई। मेले में मिलेट्स की पौष्टिकता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी आयोजित किए गए, जिसका लाभ जिलेवासियों, स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों ने उठाया। जिला प्रशासन और उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह ने मिलेट्स फूड फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए सभी जिलेवासियों, जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों, मीडिया के साथियों, विद्यार्थियों और सभी विभागों के शासकीय अमले का आभार व्यक्त किया है।
व्याख्यान में बताई श्री अन्न की पौष्टिकता - मिलेट्स मेले के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र चंदननगर छिन्दवाड़ा के वैज्ञानिक डॉ.डी.सी.श्रीवास्तव ने बताया कि आज न केवल हमारे देश में बल्कि समूचे विश्व में कृषि उत्पादन एवं कृषि औद्योगिकी से जुड़े लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे पौष्टिक आहार की मात्रा बढ़ायी जाये। श्रीअनाज एवं उसके उत्पाद इस संदर्भ में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। श्री अनाजों में मुख्यतः मक्का, ज्वार एवं बाजरा के अतिरिक्त कंगनी, कोदो, कुटकी, चेना, रागी एवं सवा भी शामिल है। इन श्रीअनाजों में रागी (कर्नाटक प्रान्त), चेना व कुटकी (बिहार प्रान्त) कोदों, कुटकी व कंगनी (मध्यप्रदेश) एवं सवा (उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मध्यप्रदेश के मैदानी क्षेत्रों तक) मुख्य है। इन श्रीअनाजों की यह विशेषता है कि ये कम उपजाऊ एवं ढालू भूमियों में तथा आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों द्वारा उगाये जाते हैं। इनके उत्पादन में कम उर्वरकों, सिंचाई, कृषि क्रियाओं तथा कीटों एवं व्याधियों के रोकथाम के लिये अल्प व्यय एवं देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। देश की 60 प्रतिशत जनसंख्या चावल व गेहूं जैसे उच्च स्तरीय खाद्यान्नों को अपने मुख्य आहार के रूप में सेवन करती है, वहीं 40 प्रतिशत जनसंख्या मोटे अनाजों को अपना मुख्य भोजन स्वीकार कर चुकी है।
श्रीअनाजों में पौष्टिकता इतनी प्रबल होती है कि पौष्टिक दृष्टि से मानव शरीर की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इनसे उन्हें भरपूर प्रोटीन, विटामिन वसा और खनिज पदार्थ तथा ऊर्जा आदि प्राप्त होते हैं। किसी-किसी श्रीअनाज में उपरोक्त तत्व-गेहूं और चावल जैसे खाद्यानों से भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। श्री अन्न कहलाने वाले खाद्यान्न पौष्टिकता की दृष्टि से कितने प्रबल है इसकी जानकारी तुलनात्मक रूप से समझी जा सकती है, ताकि इनकी पौष्टिकता के महत्व को समझा जा सके। इनका प्रयोग भोजन में करने से हृदयरोग, मधुमेह एवं अल्सर की बीमारियों के लिए अति गुणकारी पाया गया है।
श्री अनाजों की मुख्य विशेषताऐं - श्री अनाजों में एमीनों अम्ल संतुलित मात्रा में पाया जाता है तथा मेथोइओन सिसटिन एवं लाइसिन एमिनो अम्ल के मुख्य स्त्रोत है। श्री अनाजों का भंडारण अन्य अनाजों की अपेक्षा अधिक समय तक किया जा सकता है, क्योंकि भंडारण के दौरान इसमें कीट एवं रोग भी कम लगते हैं।