बड़वानी /कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी में आयोजित कृषक प्रषिक्षण सह आदान वितरण कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. एस.के. बड़ोदिया ने जिले के कृषकों को सलाह दी की वे अपने खेतों में खरीफ फसलों की बुवाई हेतु खेत तैयार कर उन्नत बीज, खाद एवं जैव उर्वरक आदि की अग्रिम व्यवस्था कर लें, वर्षा आधारित/ंिसंचित दषा में कपास, मक्का एवं मूॅंगफली की बुवाई के लिये सही समय है तथा सोयाबीन की बुवाई 4-5 इंच वर्षा होने पर करने की सलाह दी । साथ ही कृषकों को बीजोपचार के उपंरात ही फसलों की बुवाई की सलाह दी इसके अलावा किसान भाई भूमि एवं जल संरक्षण हेतु ढाल के विपरीत जुताई तथा खेतों के मेंढ़ बंदी से वर्षा जल को रोकने की तैयार करें । साथ ही डाॅ. बड़ोदिया ने कहा कि सोयाबीन फसल को थायरम (2 ग्राम) के साथ कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) या थायरम (3 ग्राम) या मेन्कोजंेब (2.5 ग्राम) या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम) से उपचारित करने, कपास के बीज को स्टेªप्टोसाइक्लीन (3 ग्राम) या स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट (1 ग्राम) प्रति 10 लीटर पानी जीवाणुवीय रोग हेतुु तथा वीटावेक्स (2 ग्राम), ज्वार एवं मक्का के बीज को मेन्कोजेब या थायरम (2.5 ग्राम) से बीजोपचारित कर बुवाई की सलाह दी । इस अवसर पर सी.एफ.एल.डी. प्रभारी डाॅ. डी. के. जैन ने जिले के लिए उपयुक्त सोयाबिन की उन्नतषील किस्में आर.व्ही.एस.-2001-04, आर.व्ही.एस.-18, आर.व्ही.एस.-24, जे.एस.-20-34, जे.एस. 20-69, जे.एस.-20-29 का चयन व मक्का की उन्नतषील किस्में जे.एम.-216, जे.एम.-218 तथा पाॅपकार्न हेतु पाॅप-11 का चयन तथा कपास की उन्नतषील किस्में आर.बी.-50, के-2 का चयन करने की सलाह दी तथा कपास फसल के उत्पादन में छोटी-छोटी सी सावधानियाॅं एवं प्रबंधन कार्य कर फसल के उत्पादन में वृद्वि की जा सकती है जैसे खेत का चुनाव करते समय मध्यम प्रकार की मृदा इस फसल हेतु चयनित करें, उपयुक्त प्रजाति का चुनाव, सिचंाई एवं उर्वरक का समुचित प्रबंधन कर 30-40 प्रतिषत तक उत्पादन में वृद्वि लाई जा सकती है । अगर फसल में ड्रिप सिचांई प़द्धति से सिंचाई की जावें व उचित उर्वरक प्रबंधन किया जावे तो कपास फसल में अत्यधिक उत्पादन देखा गया है । इस तरह कृषक थोड़ी सी सावधानी एवं प्रबंधन से आय में वृद्वि कर सकता है । इसके साथ ही कृषकों को मिर्च की रोपाई के लिये उपयुक्त समय बताया । कार्यक्रम के अंत में चयनित कृषकों को क्लस्टर योजनान्तर्गत सोयाबीन बीज का वितरण किया ।