हम होंगे कामयाब अभियान : समानता और मानव अधिकारों की दिशा में एक नई पहल
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा अनुसार प्रदेश में महिला एवं बाल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश व्यापी जन जागरुकता अभियान हम होंगे कामयाब" का संचालन किया गया। मध्यप्रदेश शासन द्वारा "हम होंगे कामयाब" जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन आज 10 दिसंबर 2024 को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्यालय द्वारा किया गया। इस दौड़ का शुभारंभ सुबह 9:30 बजे न्यू रविन्द्र भवन के सामने स्थित ग्राउंड से महापौर, नगर निगम भोपाल श्रीमती मालती राय तथा समापन प्रात: 11:00 बजे बोट क्लब पर पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाणा ने किया।
इस मैराथन में पुलिस विभाग सहित शासन के 25 विभागों, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी, और एनजीओ के सदस्य समेत लगभग 1500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। देश में पहली बार इतने विभागों और एनजीओ तथा समाज की सहभागिता रही l
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाए जा रहे 16 दिवसीय लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान 25 नवंबर 2024 से चलाया जा रहा है। जागरूकता अभियान में शासन के 25 विभाग शामिल थे। इस अभियान का उद्देश्य जेंडर आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए जागरूकता फैलाना और समानता व मानव अधिकारों को बढ़ावा देना है। यह पहल समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समापन अवसर पर डीजीपी श्री कैलाश मकवाणा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति संकल्पबद्धता, यह एक अत्यंत प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय है। आज, जब हम इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं, तो यह याद करना जरूरी है कि 40-45 साल पहले ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत कम थी, जो आज की तुलना में आश्चर्यजनक लगती है। इंटरनेट और तकनीकी विकास ने पूरी दुनिया को एक साथ जोड़ दिया है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणामों के साथ-साथ इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
आज इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील सामग्री, दुर्भाग्य से, मोबाइल उपकरणों में भी आसानी से सर्कुलेट हो जाती है। इससे विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे महिलाओं और बच्चियों के प्रति उनकी सोच में नकारात्मक परिवर्तन आता है। यह कई बार छेड़खानी से लेकर गंभीर अपराधों तक की परिणिति बनता है।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम इस बात का उदाहरण है कि मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जिसने मुख्यमंत्री जी की पहल पर 25 विभागों के समन्वित प्रयास से महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। इस अभियान की शुरुआत 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर हुई और इसका समापन आज अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर हो रहा है। इस दौरान जागरूकता अभियान, पेंटिंग प्रतियोगिताएं, बालिकाओं के दस्तावेज तैयार करना, सुरक्षा ऑडिट, और अन्य गतिविधियां आयोजित की गईं। झुग्गी-झोपड़ियों, हाट बाजारों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, और स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां महिलाओं और बच्चों को हेल्पलाइन नंबर, कानून और अधिकारों की जानकारी दी गई।
बीजिंग में 1995 में हुए अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में एक घोषणा पत्र जारी किया गया था, जिसमें 2030 तक लैंगिक असमानता का उन्मूलन करने और महिलाओं को समान अधिकार दिलाने का लक्ष्य रखा गया। इस दिशा में यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है।
डीजीपी श्री मकवाणा ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों को रोकने के लिए पुरुषों और बालकों को संवेदनशील बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह प्रक्रिया घर से शुरू होती है, जहां माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि बेटे और पुरुष समानता और सम्मान का व्यवहार अपनाएं। स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को इस विषय में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
उन्होंने कहा कि इस पखवाड़े के अंतर्गत हुए सुरक्षा ऑडिट के निष्कर्षों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा और इसके आधार पर आगे की नीतियां तैयार की जाएंगी। निजी क्षेत्र की समितियों के गठन पर भी विचार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सफलता इस बात से स्पष्ट है कि इसमें सभी विभागों और लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने सभी से अपील की कि इस अभियान को जारी रखें और इसे व्यापक स्तर पर फैलाएं।
इस अवसर पर डीजीपी ने मैराथन दौड़ के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए तथा महिला पुलिसकर्मियों को हेलमेट भी वितरित किए। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल सभी अधिकारियों, विभागों और प्रतिभागियों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
इस अवसर पर विशेष पुलिस महानिदेशक महिला सुरक्षा शाखा श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन दिवस के तहत 15 दिवसीय अभियान का लक्ष्य जेंडर आधारित हिंसा का पूर्ण उन्मूलन है, जिसे 2030 तक प्राप्त करने का संकल्प लिया गया है। इस अभियान के दौरान, पूरे प्रदेश में विभिन्न विभागों द्वारा जागरूकता रैलियां, नुक्कड़ नाटक और अन्य गतिविधियां आयोजित की गईं।
उन्होंने कहा कि महिला बाल विकास विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग तथा यूएन विमेन और आप सभी के सहयोग से यह आयोजन सफल रहा। यह अभियान यहीं समाप्त नहीं होता, बल्कि इसे आगे भी निरंतर जारी रखा जाएगा।
*अभियान में शामिल विभाग और सेवाएँ*
यह अभियान महिला एवं बाल विकास विभाग के नेतृत्व में 25 सरकारी विभागों के सहयोग से संचालित किया गया। प्रमुख भागीदार विभाग और उनकी भूमिका इस प्रकार रही:
*महिला एवं बाल विकास विभाग:* अभियान का मुख्य प्रायोजक, जिसने विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया गया।
*शिक्षा विभाग*: स्कूलों और कॉलेजों में विशेष सत्रों के माध्यम से युवाओं को जागरूक किया गया।
*स्वास्थ्य विभाग:* महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं और जागरूकता को बढ़ावा दिया गया।
*पुलिस विभाग:* महिला सुरक्षा के लिए महिला हेल्पलाइन 112 और 1090 के माध्यम से त्वरित सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही चित्रकला और स्वरचित कविता लेखन/पाठ प्रतियोगिता एवं समापन के अवसर पर भव्य मैराथन दौड़ आयोजित की गई। इस प्रकार जन संवाद कार्यक्रमों के आयोजन में पुलिस विभाग ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
*स्थानीय प्रशासन:* जिलों में कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने सक्रिय रूप से इस अभियान का संचालन किया।
*सामुदायिक भागीदारी*
*ग्राम पंचायतें:* स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों को अभियान में शामिल किया गया, जिससे ग्रामीण समुदायों में जागरूकता बढ़ सके।
*गैर सरकारी संगठन (NGOs)*: समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया।
*आंगनवाड़ी कार्यकर्ता:* ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के साथ जागरूकता अभियान चलाया।
*अभियान की प्रमुख गतिविधियाँ*
*कार्यशालाएँ और सेमिनार:* राज्य भर में विशेषज्ञों द्वारा आयोजित कार्यशालाएँ और सेमिनार।
*सामुदायिक कार्यक्रम:* स्थानीय समुदायों में चर्चा सत्र और भ्रूण लिंग परीक्षण रोकथाम से जुड़ी जानकारी।
*सोशल मीडिया अभियान:* डिजिटल प्लेटफार्मों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष पोस्ट और वीडियो साझा किए गए।
*अभियान का महत्व*
'हम होंगे कामयाब' अभियान न केवल जेंडर आधारित हिंसा और असमानता के खिलाफ एक मजबूत कदम है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश भी है। इस अभियान के माध्यम से महिला और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और एक सुरक्षित, समान और प्रगतिशील समाज बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।
मध्यप्रदेश में 'हम होंगे कामयाब' अभियान का सफल संचालन समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार और सशक्तिकरण प्रदान करने में मददगार साबित होगा। पुलिस विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षण संस्थान, मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और अन्य सरकारी विभाग इस पहल को सफल बनाने में सक्रिय रूप से योगदान देते रहेगें।