उज्‍जैन । कलेक्टर श्री सिंह ने मंगलवार को प्रशासनिक संकुल भवन के परिसर से फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन हेतु प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया ।

  गौरतलब है कि वर्तमान में जिले में गेहूं फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्णतः की औरं गेहूं फ़सल की कटाई के पश्चात् सामान्य तौर पर किसान भाई नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मि‌ट्टी की संरचना भी प्रभावित हंती है। जिले में गेहूं की काटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती. के लिये आत्मघाती कदम है।

  उक्त प्रचार रथ जिलें के समस्त विकासखण्डों की ग्राम पंचायतों में जाकर प्रचार-प्रसार करेगा। कलेक्टर जिला उज्जैन के निर्देशानुसार आगामी 18 अप्रैल तक प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर त्रि विभाग एवं कृषि से संबंधित मैदानी अधिकारियों एवं राजस्व विभाग के पटवारी / पंचायत विभाग के पंचायत सचिव के साथ समन्वय कर कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जायेंगा तथा किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसानों से किसानों को अवगत कराया जायेंगा तथा फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन की तकनीकी जानकारी से अवगत कराया टायेगा।

खेत में गेहूं एवं अन्य फसलों के अवशेषों (नरवाई) को जलाने से निम्न हानियां होती है

जमीन में उपस्थिति लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु / केचुए नष्ट हो जाते है जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है। भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। नरवाई में आग लगाने से आस-पास की खड़ी फसलों में आग लगने से एवं जन/धन हानि की आशंका रहती है। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है।

नरवाई प्रबंधन के निम्न उपाय है-   स्ट्रॉ रिपर (भूसा मशीन) से भूसा बनाया जा सकता है। वेलर मशीन द्वारा बेल बनाकर कागज उद्योग / बायो मौस डेयरी में भूसा की पूर्ति की जा सकती है। मल्चर मशीन द्वारा फसल अवशेषों को बारीक काट कर खेत में जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम को सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कैटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करें। खेत में कल्टीवेंटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि कि सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने थाली फसलों में जीयांश खाद कि बचत कि जा सकती है। पशुओ के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों कि उपलब्धता बढ़ने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगडने से बचाया जा सकता है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है। 

 

अतः किसान भाईयों से जिला प्रशासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, कृषि अभियांत्रिकी विभाग संयुक्त रूप से निवेदन करता है कि फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेष (नरवाई) में आग नही लगावे, नरवाई का उचित प्रबंधन कर भूमि / वातावरण को नूकसान ना पहुंचाते हुए पशुओं के लिये भूसा/जैविक खाद तैयार करे जिससे फसल उत्पादन के अतिरिक्त भी आय प्राप्त की जा सकती है।

 

     इस अवसर पर श्री आर.पी.एस नायक, उप संचालक कृषि, श्री पी.सी. सिसोदिया, सहायक कृषि यंत्री, सहायक संचालक, श्री कमलेश कुमार राठौर, श्री जी.आर. मूवेल, श्री नरेश मीणा, श्री बनप सिंह वर्मा, श्री रामबलवान जाटव, श्री सुबोध कुमार पाठक आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।