मण्डला जिले के घुघरी विकासखण्ड के ग्राम कचनारी के हितग्राही डुमारीलाल धुर्वे एवं मुकेश धुर्वे परम्परागत खेती से हटकर आधुनिक तकनीक का उपयोग कर धान का भरपूर उत्पादन कर रहे हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्धति से डुमारीलाल और मुकेश धुर्वे कम लागत में अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना-वाटरशेड विकास 2.0 परियोजना से किसान की आय दुगनी हो रही है। एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलने से कृषक खेत तालाब निर्माण, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर वितरण कर सिंचाई सुविधा में विस्तार, मत्स्य उत्पादन, हॉर्टिकल्चर एवं फ्लोरीकल्चर जैसे नवीन एकीकृत कृषि प्रणाली से आदिवासी बाहुल्य अंचल में आधुनिक एवं तकनीकी कृषि को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे अभिनव प्रयोगों के माध्यम से आज क्षेत्र के अन्य किसान भी आधुनिक खेती की तरफ झुकाव महसूस कर रहे हैं।

ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने का एक अद्भुत प्रयास, पलायन जैसी समस्या का भी हो रहा नियंत्रण

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास परियोजना अंतर्गत जिले के अलग-अलग गावों में स्वसहायता समूह के माध्यम से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने का नवाचार किया जा रहा है। ग्राम भैंसवाही में कोयातूर जलग्रहण स्वसहायता समूह द्वारा कम्प्यूटर स्किल सेंटर, ग्राम चोबा में मां नर्मदा जलग्रहण स्वसहायता समूह द्वारा सेंटरिंग कार्य एवं ग्राम सुरेहली में कोयादीप जलग्रहण स्वसहायता समूह द्वारा कोदो-कुटकी प्रोसेसिंग यूनिट जैसी आजीविका गतिविधियों का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है जिससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है, फलस्वरूप पलायन जैसी समस्या भी काफी हद तक नियंत्रित हुई है।