जड़ी बुटियों के खजाने से जानकारी प्राप्त कर मन अभिभूत हुआ - महिला एवं बाल विकास मंत्री

झाबुआ l आज कैबिनेट मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग सुश्री निर्मला भूरिया के मुख्य आतिथ्य जिला प्रशासन, आयुष विभाग और मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के समन्वय से “डुंगर बाबा नी जड़ी बूटियों नु जोवनार” की जिला स्तरीय कार्यशाला के आयोजन किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य:-
कार्यशाला का उद्देश्य जिले में जड़ी बूटियों से उपचार का समृद्ध ज्ञान सदियों से विद्यमान है। इसी समृद्ध ज्ञान के संरक्षण और विलुप्ति से बचाने के लिए उसका दस्तावेजीकरण किया जाना आवश्यक है जिससे अनन्त काल तक ज्ञान निरन्तर चलता रहे एवं आने वाली पीढ़ियो को भी लाभ पहुंचाता रहे। जनजातीय संस्कृति एवं परम्परा का समृद्ध ज्ञान को विलुप्त होने से बचाने एवं आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक परिदृश्य से जोड़े रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जानकारों की कार्यशाला/परिचर्चा का आयोजन कर दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
मुख्य कार्यक्रम
कार्यशाला का शुभारंभ आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग सुश्री निर्मला भूरिया ने कहा कि जिले के सभी विकासखण्डों से जानकार एकत्र हुए है जिसमें आज जड़ी बुटियों के संबंध में बहुत जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के 6 माह से किये अथक प्रयासों से आज सभी जानकारो से मिलने का सुखद अनुभव प्राप्त हुआ है। हमारे अंचल में जड़ी बुटियों का परम्परागत ज्ञान विलुप्त ना हो जाए और आने वाली पीढ़ियों तक अविरल और निरन्तर रूप से बना रहे इसी उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होने कहा कि जिलेभर से आए सभी जानकार जड़ी बुटियों की जानकारी का खजाना है इस खजाने से जानकारी प्राप्त कर मन अभिभूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि इन जड़ी बुटियों को सही मात्रा में लेने से शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। कोरोना बीमारी के कठोर समय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में आयुष पद्धतियों को अपनाने पर जोर दिया गया और इसी उद्देश्य से देशभर में आयुर्वेद का विस्तार बढ़ा। इसी कड़ी में जिला प्रशासन का यह कदम प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि ज्ञान बांटने से बढ़ता है और इसी से परम्परागत ज्ञान को लिपिबद्ध करने से ज्ञानमयी धरोहर को संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जड़ी बुटियों की उपलब्धता बनाये रखने के लिए आगामी समय में बगीचा विकसित किया जाएगा जिसमें जलवायु अनुसार जड़ी बुटियों को उगाया जा सके।
कार्यक्रम में कलेक्टर नेहा मीना ने सभी जानकारों से कहा कि हमारे एक छोटे से आग्रह पर आप यहां आए और अपने ज्ञान को साझा किया इसके लिए आपका धन्यवाद। उन्होंने कहा इस जिलास्तरीय कार्यशाला के माध्यम से जिले भर के जानकार भी आपस में मिले और जानकारियों का आदान प्रदान हुआ हैं। उन्होंने कहा कि विगत 6 माह में घर घर सर्वे जानकारी एकत्र की गई और झाबुआ के परंपरागत ज्ञान को संरक्षित करने के लिए रणनीति बनाई गई। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के उपचार के लिए मोरिंगा पाउडर का सेवन किया जाता है और उसके सफल परिणाम प्राप्त हुआ है। ठीक उसी प्रकार जिले में भी ज्ञान का अथाह भंडार है जिसके लिपिबद्ध होने से आने वाली पीढ़ियों को भी पारंपरिक ज्ञान के महत्व को समझाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि आज प्रदर्शनी में बहुत सी नई जड़ी बूटियां देखी और नया अनुभव प्राप्त हुआ। इसी ज्ञान को संरक्षित करने हेतु आयुष विभाग के माध्यम से हिंदी और इंग्लिश में पब्लिश करा कर प्रसारित करने का प्रयास किया जाएगा।
जनप्रतिनिधि श्री भानु भूरिया ने कहा कि
आज आपके समक्ष उपस्थित होकर विभिन्न नई पद्धतियों के बारें में जानकारी प्राप्त हुई। हमारे जिले को साक्षरता में पिछड़ा माना जाता है किन्तु आज यह अनुभव हुआ कि जिला किताबी ज्ञान की बजाय प्राकृतिक ज्ञान से भरपूर है जिसे संजोना और प्रसारित करना हम सभी की जिम्मेदारी है । साथ ही उन्होंने कहा कि जड़ी बूटियों को निश्चित स्थान पर उगाया जाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष अजजा मोर्चा श्री कलसिंह भाबर ने स्वयं अपने जड़ी बूटियों के ज्ञान को सबके बीच सांझा किया। उन्होंने कहा कि जिले में कई सदियों से मनुष्य के साथ साथ पशुओं के उपचार के लिए भी इन जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के माध्यम से प्राप्त इस ज्ञान को संरक्षित करना है जिससे पूरे देश में यह प्रसारित होता रहे।
जिला आयुष अधिकारी डॉ प्रमिला चौहान ने बताया कि सितम्बर माह में कलेक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन से आयुष विभाग में नवाचार की रणनीति बनाई गई जिसमें जड़ी बूटी को विलुप्ति से बचाने के लिए प्रयास किये गये। आयुष विभाग और मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के संयुक्त प्रयासों से सचिवो के माध्यम से सर्वे कराकर 157 जानकारों की फाइनल लिस्ट बनाई गई। प्रथम चरण में विकासखण्ड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। द्वितीय चरण में जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजन किया गया।
जानकारों का अनुभव
कार्यक्रम में पेटलावद से आए श्री विनोद ने बताया कि उनके पिताजी डिप्टी रेंजर थे और जंगल में जा कर उनको जड़ी बूटियों का ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि पथरी के इलाज के लिए जंगली गेखरू का प्रयोग करते है और अब तक लगभग 2 से 3 लाख पथरी मरीजों को ठीक कर चुके है इसी के साथ उन्होंने पाइल्स के उपचार के लिए मार्सेली के बीज पिस कर पेस्ट बना कर उपचार बताया । उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को भी ज्ञान सिखाया और प्रदेश के बाहर भी उपचार करते हैं। श्री खुमान डामोर ने बताया कि कोरोना में गुडऔर तुलसी का काड़ा का उपयोग किया गया। साथ ही सफेद धातु के उपचार के लिए नीम के फल (निंबोली), गठान के उपचार के लिए एलोवरा का उपयोग और शराब का नशे की आदत को छुड़ाने के लिए शीशम की छाल का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य जानकारो द्वारा भी अपने अनुभव और ज्ञान के बारें में विस्तार से बताया गया ।
प्रदर्शनी का अवलोकन
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा आयुष विभाग एवं समस्त विकासखण्डों पर आयोजित कार्यशाला के माध्यम से पधारे जानकारो द्वारा विभिन्न जड़ी बूटियों की प्रदशर्नी का अवलोकन किया। प्रदशर्नी के अवलोकन के दौरान ही कलेक्टर की इस पहल और सदियों से चले आ रहे ज्ञान के संरक्षण के लिए बुजुर्ग द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
जानकारों का सम्मान
कार्यक्रम में जिले भर से आये जानकारों का सम्मान कर कैबिनेट मंत्री के द्वारा विशेष योगदान के लिए प्रमाण पत्र दिये गये।
आगामी कार्ययोजना
डूंगरबाबा नी जड़ी बूटियो नु जोवनार के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला के उपरान्त समस्त जानकारियो को सुव्यवस्थित लिपिबद्ध कर दस्तावेजीकरण किया जाएगा। जिसके तहत सम्पूर्ण जानकारी जैसे विद्या कहा से सीखी, गुरु का प्रमुख व्यक्ति का नाम आस्था का केंद्र की जानकारी, मरीज की बीमारी की पहचान कैसे, इलाज की प्रक्रिया, जड़ी बूटी का नाम और मात्रा, जड़ी बूटी की उपलब्धता , इलाज की समयावधि , इलाज की पहुंच, जड़ी बूटी के उत्पादन की प्रक्रिया l