सिवनी l कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी द्वारा बरघाट विकासखण्ड के मलारा ग्राम  में मृदा परीक्षण शिविर एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर किसानो को मिटटी का नमूना लेने की विधि बताई गई और मृदा परीक्षण के महत्व के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। किसानो से बात करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल ने कहा कि आज हमारी मृदा बीमार हो गई है, इसका स्वास्थ्य बहुत खराब है। जब तक किसान मिटटी के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं करेंगे तथा उसका ध्यान नहीं रखेगें तब तक जमीन से हम अच्छा पोषण युक्त खाद्यान्न, दलहन-तिलहन, फल-सब्जी, पशुओं के लिए पोषण युक्त चारा नही प्राप्त कर सकते। आपने बताया कि मृदा परीक्षण हेतु मई का माह सर्वोत्तम होता है।       उन्होंने आगे कहा मृदा का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे तथा उससे बेहतर उत्पादन मिलता है। इसके लिए किसानो को हर तीसरे साल के अंतराल पर अपने खेतों की मिटटी की जांच अवश्य करानी चाहिए। मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में 12 पोषक तत्वों की जांच की जाती है। मृदा जांच से पता चल जाता कि जमीन में कौन-कौन से पोषक तत्वो की कमी है। इसके बाद किसान मृदा जांच के आधार पर संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरक एवं पोषक तत्व अपने खेतो में डालकर अच्छा उत्पादन ले सकते है। कृषि विज्ञान केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. के. के. देशमुख ने कृषको को मृदा के सही नमूने कैसे ले एवं मृदा की जांच हेतु प्रयोगशाला में भेजने हेतु पत्रक को सही भरना एवं भेजना ताकि खेत का सही मृदा स्वास्थ्य पत्रक बनाने की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की। मृदा का परीक्षण एवं नमूना एकत्रीकरण शिविर के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र सिंह ठाकुर एवं इंजि. कुमार सोनी ने महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की एवं कार्यक्रम का संचालन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री विक्रम सिंह एवं आभार प्रदर्शन इंजि. कुमार सोनी द्वारा किया गया इस दौरान ग्राम मलारा के सरपंच श्री विलंगसिहं इनवाती एवं कृषको की उपस्थिति रही। बेहतर फसल उत्पादन के लिए 16 पोषक तत्व होन महत्वपूर्ण       फसलो के बेहतर उत्पादन के लिए मिटटी में 16 पोषक तत्वो की आवश्यकता होती है। जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन स्वतः ही वायुमंडल के माध्यम से प्राप्त होते है। जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश मुख्य पोषक तत्व होते है। इसके अलावा कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व एवं जिंक, आयरन, कॉपर, बोरान, मैगनीज, मोलिबडनम, क्लोरीन सूक्ष्म पोषक तत्व की श्रेणी में आते है। मिटटी की जांच में इन्ही 12 पोषक ततवों की जांच की जाती है। मिटटी का नमूना लेने हेतु ‘ वी ‘ आकार का कट लगाये       फसल काटने के बाद खेत के बीच में तथा चारो कोनो से फावडा से ‘ वी ‘ आकार का कट लगाकर खुरपी की सहायता से उपर की 6 इंच तक की मिट्टी का नमूना लेकर सभी नमूनो की मिटटी को मिलाकर उसमें से ढाई सौ ग्राम मिटटी एक थैली में भरकर जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे।नमूना लेते समय इन बातो का रखे ध्यान खेत में मिटटी का नमूना लेते समय ध्यान रखना चाहिए कि कभी पेड के नीचे से, मेड के किनारे से, और जहां खाद पडी हो वहां से नमूने नही लेना चाहिए। नमूना हमेंशा साफ जगह से ही एकत्र करें तथा मिटटी के नमूने में आए कूडें कचरे को छानकर- पीसकर अलग कर दें।