मंत्री जी और उनके स्टाफ की कार्यशैली के चर्चे...
भोपाल l मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों की सक्रियता निरंतर बढ़ते ही जा रही है l कुछ मंत्री अपने क्षेत्र में ज्यादा समय दे रहे हैं तो कुछ मंत्रालय में l मंत्रियों या उनके स्टाफ से मिलने वाले लोगों की राय के आधार पर आमजन में एक नेरेटिव बनता है जिससे संबंधितों की छवि बनती भी है और बिगड़ी भी है l मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ मंत्री जी के नए स्टाफ के चर्चे इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं l पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के स्टाफ में आए दोनों ही ओएसडी तथा अन्य स्टाफ मध्य प्रदेश में पहले किसी मंत्री के स्टाफ में नहीं रहे हैं इसके बावजूद उनके काम करने के अंदाज़ ने 2003 की नई-नई बनी भाजपा सरकार की याद दिला दी है l उस समय कोई कार्यकर्ता या आमजन मंत्री के बंगले आते थे तो सबसे पहले जलपान फिर उस आने वाले व्यक्ति की समस्या का निराकरण पूरी ईमानदारी के साथ किया जाता था l ऐसा लगता था कि जैसे रामराज्य आ गया है और अगर मंत्री जी से मिलना हो जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता था, बीस साल बाद अब भी ऐसा ही नजारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के बंगले पर नजर आ रहा है l मंत्री जी यदि बंगले पर नही हैं तो भी उनसे मिलने आए लोगों की ना सिर्फ पूरी बात सुनी जाती है बल्कि यदि दूरभाष पर निर्देश देने की आवश्यकता हो तो निर्देश भी दिए जाते हैं l बिना जलपान के किसी को लौटने नहीं दिया जाता l मंत्री जी के बंगले से निकल रहे सकारात्मक संदेश मध्यप्रदेश सरकार के लिए भी बड़ी राहत देने वाले हैं l मंत्री जी के स्टाफ का कोऑपरेट करने वाला व्यवहार इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है l वहीं अगर मंत्री जी की बात की जाए तो वे तीनों ही विभागो में ऐसे नवाचार कर रहे हैं जिनके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया l