भोपाल l राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती उपमा राय के कार्यकाल को कौन भुला सकता है l उन्होंने जिस अंदाज में कार्य किया वह काबिले तारीफ रहा है l चाहे महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में हो या फिर उपभोक्ता आयोग में सदस्य के रूप में अपनी कार्यशैली से उन्होंने ना सिर्फ प्रभावित किया बल्कि बड़े बड़े मामलों में न्याय करके अपनी प्रशासनिक क्षमताओं का भी लोहा मनवाया l उपभोक्ता आयोग में उनके द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले भी नजीर बन गए, उनकी निष्पक्षता को कोई प्रभावित नहीं कर सका l महिला आयोग में अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी विशेषता यही रही कि यदि कोई भी पीड़ित महिला उनसे दूरभाष पर भी अपनी समस्या को बताती थी तो वह दूरभाष पर ही उस समस्या का निदान करने का प्रयास करती थी l उनकी निष्पक्ष कार्यशैली के चलते ही आज भी उनकी सराहना की जाती है l उनकी लोकप्रियता आज भी बरकरार है, उन्हें जब-जब जो भी जिम्मेदारी मिली उन्होंने उसे बखूबी निभाया जो भी पीड़ित उनसे मिलने आया उन्होंने उसे कभी निराश नहीं किया l एक समय था जब मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग का नाम हुआ करता था l महिला आयोग प्रदेश की महिलाओं को तत्परता के साथ न्याय दिलाने के लिए जाना जाता था l उस समय आयोग की अध्यक्ष थी श्रीमती उपमा राय  , महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल को महिला आयोग का गोल्डन पीरियड माना जाता हैl उन्होंने महिलाओं की मदद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, जो भी महिलाएं राज्य महिला आयोग में उनके पास आई उन्होंने उन्हें निराश नहीं होने दियाl  हर स्तर पर जाकर उन्होंने महिलाओं की मदद की यही वजह है कि आज मध्य प्रदेश के छोटे-छोटे गांव, शहरों ,जिलो से लेकर संभागों तक श्रीमती उपमा राय को लोग जानते है l उनके कार्यकाल में महिला आयोग न्याय का मंदिर बन गया था l उन्होंने कई मामलों को मुकाम तक भी पहुंचाया l कई बड़े मामलों में उनके पास राजनैतिक दबाव भी आए परंतु वे राजनैतिक रूप से सबल आरोपियों के खिलाफ गरीब पीड़ित महिलाओं के साथ ही खड़ी रही यही वजह रही कि वे कई राजनेताओं की नजरों में भी  खटक गई इसलिए उन्हें ना तो आयोग में ही रिपीट किया गया और ना ही कोई बड़ी जिम्मेदारी दी गई l उन्हें उनकी ईमानदारी का पुरस्कार मिलने की बजाय सजा ही मिली l