भोपाल के समाजसेवी , सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार राधेश्याम अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर एक पत्र पोस्ट किया है जिसमें निजी मिशनरी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर चल रही लूट का उल्लेख किया है यह पत्र उन्होंने कलेक्टर भोपाल को लिखा है पढ़िए उनका पूरा पत्र ...                                                                  सेवा में, 
माननीय कलेक्टर महोदय, 
भोपाल, मध्य प्रदेश।

विषय: निजी मिशनरी स्कूलों में निजी पब्लिशर की महंगी किताबों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु आवेदन।

महोदय,

भोपाल जैसे राजधानी क्षेत्र में संचालित अनेक निजी स्कूल निजी पब्लिशर्स की अत्यधिक महंगी किताबें प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों को खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इन किताबों की कीमत 6000 से 7000 रुपये तक होती है, जो हर वर्ष अभिभावकों के लिए एक भारी आर्थिक बोझ साबित हो रही है।

अभिभावकों को इन किताबों को केवल एक वर्ष के लिए उपयोग में लाना पड़ता है, जिसके बाद वे व्यर्थ हो जाती हैं और कबाड़ के रूप में बेच दी जाती हैं। यह न केवल अभिभावकों पर आर्थिक दबाव डालता है, बल्कि संसाधनों की भी अनावश्यक बर्बादी करता है।

हम, प्रदेश के समस्त अभिभावकगण, आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि:

1. जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया जाए कि वे निजी स्कूलों में निजी पब्लिशर की किताबों को अनिवार्य रूप से बेचे जाने की प्रथा पर रोक लगाएं। साथ ही लूट पर लगाम लगे।

2. यह सुनिश्चित किया जाए कि सरकारी या एनसीईआरटी की किताबों को प्राथमिकता दी जाए, जो किफायती होने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती हैं।

3. यदि कोई विद्यालय इस प्रकार की अवैध और अनुचित गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाए।

4. इस संबंध में अभिभावकों की समस्याओं को सुनने और समाधान करने के लिए एक हेल्पलाइन या शिकायत पोर्टल की स्थापना की जाए।

हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने हेतु तत्काल उचित कदम उठाएं, जिससे शिक्षा और प्रशासन दोनों पर जनता का विश्वास बना रहे।

सादर,

प्रदेश की समस्त अभिभावक जनता