सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि देश में कैसे संविधान की हत्या कर दी गई

नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि जब से सरकार ने संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की है, संविधान की रक्षा का दिखावा करने वाले लोग असहज हो गये हैं। उन्होंने आपातकाल को काला काल बताया और कांग्रेस पर लोकतंत्र की आत्मा की हत्या करने का आरोप लगाया। त्रिवेदी ने सात प्वाइंट्स में आपातकाल के बारे में बताया
1 - आपातकाल में देश के सभी नागरिकों के मूल अधिकार समाप्त कर दिए गए थे।
2 - यदि आपको पुलिस पकड़ ले जाए, तो आप कोर्ट नहीं जा सकते थे। DIR और मीसा दो ऐसे नियम थे जिनके तहत आपको कोर्ट में जमानत के लिए अपील करने का भी अधिकार नहीं था।
3 - अगर आप किसी भी सार्वजनिक स्थल पर खड़े होकर ये बोल देते थे कि इंदिरा गांधी की सरकार हटानी है, तो आपको DIR के तहत जेल में डाल दिया जाता था।
4 - सारा विपक्ष जेल में था। सवा लाख से अधिक आम जनता और राजनीतिक कार्यकर्ता 18 महीनें जेल में रहे।
5 - 38वां और 39वां संविधान संशोधन करके सरकार के किसी भी निर्णय पर न्यायिक समीक्षा का अधिकार समाप्त कर दिया गया था।
6 - संविधान की प्रस्तावना यानी संविधान की आत्मा को बदल दिया गया था।
7 - देश से ऊपर एक नेता को कर दिया गया था।