मध्यप्रदेश साप्ताहिक घटनाओं का
रोजनामचा

नया कर्ज़, नया टैक्स, मंत्री की मर्यादा का उल्लंघन , इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का पतन और पाक का मर्दन

हरीश मिश्र

   रोजनामचा में प्रदेश की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आपराधिक घटनाक्रम को दर्ज किया जाता है। यह घटनाओं का दस्तावेज़ है जो यह बताता है कि सात दिन, 168 घंटों में प्रदेश में क्या-क्या घटित हुआ।
   इस सप्ताह प्रदेश के मुखिया को जोश, जुनून और जज़्बे के साथ फिर पांच हज़ार करोड़ का नया कर्ज़ लेते देखा । मामा की लाड़ली बहनों को सुखी देखने के लिए मोहन कर्ज़ पर कर्ज़ ले रहे हैं । 
     कभी बच्चों के साथ कंचा खेलते, कभी गणेश उत्सव पर उन्हें चंदा देते, कभी थाने की दीवारें हिला देते, तो कभी बातें टेप करने वाले कार्यकर्ताओं को नसीहत देते नज़र आने वाले प्रदेश के जोशीले राजमंत्री को विधि की लक्ष्मण रेखा लांघते ग्वालियर के एक रेस्टोरेंट में देखा गया। नागरिकों के मन में यह भय बैठ जाना कि सत्ता से असहमति के परिणामस्वरूप प्रताड़ना झेलना पड़ सकती है — स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक संकेत है।
    कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बड़नगर की रैली में महाकाल की नगरी में नये नारायण टेक्स का ज़िक्र कर दिया , जिस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव के भाई नारायण यादव ने पटवारी को दस करोड़ का मानहानि का नोटिस भिजवाते देखा। 
    बिलखिरिया थाने के पास सकल गांव में मुस्लिम युवक माज खान को एक एकड़ भूमि गौशाला के लिए दान में देकर सामाजिक सद्भाव की अनुकरणीय पहल करते देखा। दूसरी तरफ 
उज्जैन में हिंदू लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाने वाले फरहान के घर पर आगजनी होते और कुख्यात बदमाश जुबेर मौलाना को भोपाल की सड़कों पर लंगड़ाते देखा। ये घटनाएं एक कॉलम का समाचार बनकर रह गईं, 
क्योंकि इस सप्ताह देश के रोजनामचे के पृष्ठों पर जो लिखा गया, वह इतिहास बन गया।
   तपती वैशाख, शुक्ल नवमी, मघा नक्षत्र और ध्रुव योग में आतंक के नौ नापाक केंद्र—लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों पर आतंकी मसूद अजहर के कुनबे के मारे जाने से देशभक्तों के कलेजे को वैशाख में ठंडक मिली।     
     रावलपिंडी में आतंक का पिंडदान करते,
कंधार से पहलगाम तक के ज़ख्म का बदला लेते, भारतीय सेना का शौर्य देखा । मोदी सरकार का शक्ति-प्रहार, शाह की हुंकार, राजनाथ की ललकार, जयशंकर का आक्रोश, डोवाल की रणनीति की तरंगें हिंद महासागर में ज्वार-भाटा बनकर उठते देखीं।

    युद्धभूमि पर सिंदूर का बदला लेने गरज कर वीर सैनिक शत्रु की सेना पर टूट पड़े और अपने भुजबल से आतंकियों और शत्रु सेना का मर्दन करने लगे। मिसाइल और ड्रोन जैसे विनाशकारी अस्त्र-शस्त्र हवा में टकरा रहे थे, रणभूमि पर सैनिकों का रक्त बह रहा था, आतंकियों के शव नापाक ज़मीन पर बिखरे देखे।

    महर्षि व्यास द्वारा प्रदत्त दिव्य दृष्टि से सृष्टि के प्रथम पत्रकार संजय ने कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि से युद्ध का सीधा और वास्तविक प्रसारण महाराज धृतराष्ट्र के सामने किया था।  भारत-पाकिस्तान युद्ध का सीधा प्रसारण तो हुआ, लेकिन वास्तविक नहीं 
"खबरों में सबसे तेज़"  का दंभ भरने वाले चैनल को इस्लामाबाद पर क़ब्ज़ा कराते, "आंखों-देखी, ख़बर आप तक” पहुंचाने का पाखंड करने वाले चैनल को आपरेशन सिंदूर में 500 आतंकियों को ढेर करते , “सोच-समझकर देश का साथ देने” वाले जी का जंजाल चैनल को 70 पाक ठिकाने तबाह करते 
" अनुभव, सत्य”, “सबसे पहले ख़बर देने” का दिखावा करने वाले चैनल को 70 पाकिस्तानी ठिकाने तबाह करते देखा।
“देश का भाग्य बदलता है, ख़बरें देखकर " स्वांग करने वाले चैनल को पाकिस्तान का भूगोल बदलते — अर्थात 10 पाकिस्तानी शहरों पर क़ब्ज़ा कराते ,
“राष्ट्र के नाम” कर्कश आवाज़ में चिल्लाने वाले शेखचिल्ली चैनल को “पाक पीएम के इस्तीफे का समाचार प्रसारित करते देखा।
इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने टीआरपी की दौड़ में 18" के पाइप से पाकिस्तान को बर्बाद कर अपनी जग हंसाई कराई , दूसरी तरफ प्रिंट मीडिया ने  रामधारी सिंह दिनकर की रचना जला अस्थियां बारी-बारी,
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम,आज उनकी जय बोल का
दिव्य घोष कर संयम की पत्रकारिता कर पत्रकारिता धर्म निभाया। 6" की कलम के शब्द ने 18" के पाइप के कर्कश आवाज़ को आइना दिखाते देखा।
   हे राजन ! शास्त्रों में वर्णन‌ है शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाले स्वर्ग में स्थान पाते हैं,  लेकिन नीच का पिंडदान करने और दंड देने का प्रावधान है, क्षमा करने का नहीं।नरपिशाचों को 72 हूरों से मिलाने पर भी स्वर्ग मिलता है। 

लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार )
9584815781