वॉशिंगटन। चीन और अमेरिका के बीच इस साल की शुरुआत में एक विवाद हुआ था। विवाद की वजह बना था एक गुब्बारा जो अमेरिका की कई जगहों के आस पास उड़ता दिखा था। इसको अमेरिका ने जासूसी वाला गुब्बारा कहा था तो चीन का कहना था कि ये महज मौसम की जानकारी जुटाने वाले गुब्बारा था। बाद में इस गुब्बारे को उड़ा दिया गया था। अब इस गुब्बारे को लेकर नए खुलासे हुए हैं जिससे चीन का एक और झूठ पकड़ा गया है।एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी गुब्बारे ने जानकारी जुटाने के लिए अमेरिकी सर्विस प्रोवाइडर के ही इंटरनेट का इस्तेमाल किया। एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से मीडिया संस्थान ने रिपोर्ट किया है कि न सिर्फ उस जासूसी गुब्बारे ने नेविगेशन से जुड़ी जानकारी जुटाई बल्कि उन्हें मार्क कर चीन भेजने के लिए भी पूरी तैयारी की गई। हालांकि किस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ने चीनी जासूसी बैलून की मदद की, यह जानकारी अभी सामने नहीं आई है। इससे पहले एक और मीडिया संस्थान ने ऐसी ही मिलती जुलती बात कही थी।
इसके बाद से अमेरिकी और चीनी रिश्तों में जो खटास आई वह अब तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकी है। हाल में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और जो बाइडेन की भी मुलाकात हुई थी लेकिन कुछ बहुत ठोस नहीं निकल सका था। रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि अमेरिकी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की मदद से हालांकि किसी भी तरह का इंटेलिजेंस डेटा चीन नहीं भेजा गया। बजाए इसके, जासूसी गुब्बारे ने इस तरह की जासूसी जानकारियां जिसमें तस्वीरें भी थीं, उसको जमकर इकठ्ठा किया ताकि उसको बाद में हासिल किया जा सके। अमेरिका ने वहीं इस बैलून को मार गिराया ताकि जुटाई गई जानकारी का एनालिसिस किया जा सके। एफबीआई और अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस ने इस रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से फिलहाल इनकार किया है। चीन की भी अब तक इस रिपोर्ट पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई है।