बीजिंग। यूएस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) को अब चीन में खुफिया जानकारी जुटाने में काफी कठिनाई हो रही है, जिस वजह से अमेरिका को चीनी नेता शी जिनपिंग और उनके अंदरूनी सर्कल के बीच ताइवान जैसे बड़े मुद्दे के बारे में होने वाली किसी भी बात सीमित खबर ही मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार, एक पूर्व वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी के अनुसार अब उनके पास चीनी नेतृत्व की योजनाओं और इरादों को समझने का कोई वास्तविक तरीका नहीं है। वजह ये है कि करीब 10 साल पहले बीजिंग के खुफिया एजेंटों ने सीआईए के लिए काम करने वाले चीनी मुखबिरों को ध्वस्त कर दिया गया, जिससे चीन में अमेरिकी खुफिया नेटवर्क लगभग पंगु हो गया। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका को खुफिया जानकारी प्रदान करने वाले 20 से अधिक लोगों को मार डाला गया या जेल में डाल दिया गया, जिनमें कुछ वरिष्ठ चीनी अधिकारी भी शामिल थे।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली सुरक्षा-प्रथम सरकार ने ऑरवेलियन निगरानी प्रणाली को अपनाया है, जो चीन में जासूसी अभियानों को बेहद कठिन बना देता है। सीआईए ने कम्युनिस्ट पार्टी और सरकारी विभागों में व्यापक भ्रष्टाचार का फायदा उठाकर दर्जनों अधिकारियों को पैसे का लालच देकर मुखबिर बनाया था, लेकिन जैसे ही चीन ने एक-एक करके गद्दारों को पकड़ा, नेटवर्क नष्ट हो गया और अमेरिकी जासूसी अभियान को भारी झटका लगा। सीआईए और उसके मुखबिरों के बीच गुप्त संचार में खामी का बीजिंग ने फायदा उठाया और जासूसी नेटवर्क को नष्ट करने में उसको सहायता मिली। यह घटना उस समय घटित हुई, जब शी जिनपिंग को सत्ता संभालने के लिए तैयार किया जा रहा था। सीआईए द्वारा अंदर तक घुसपैठ के बाद शी जिनपिंग सुरक्षा और वफादारी को बहुत महत्व देते हैं।
चीन आज यूएस के लोगों को मुखबिर बनाकर उसकी जासूसी करा रहा है, जो कभी अमेरिका किया करता था। हाल ही में चीन ने पूर्व सीआईए एजेंट केविन पैट्रिक मैलोरी को भी मुखबिर बनाया था। वह भारी कर्ज में डूबा हुआ था और पैसे के बदले में अमेरिकी रहस्य बेचने को तैयार था, जिसमें चीन जाने वाले अमेरिकी खुफिया अधिकारियों की पहचान की जानकारी भी शामिल थी। इस साल अगस्त में, अमेरिकी न्याय विभाग ने अमेरिकी नौसेना के दो सैनिकों की गिरफ्तारी का खुलासा किया , जिन पर चीन को सैन्य खुफिया जानकारी प्रदान करने का आरोप था। दोनों चीन में पैदा हुए प्राकृतिक अमेरिकी नागरिक हैं।