काबुल । अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से ही म‎हिलाओं के ‎लिए दमनकारी नी‎तियां लागू होने लगी। यहां लड़‎कियों को ‎‎शिक्षा से दूर कर ‎दिया गया। नौकरी बंद करा दी गई, और तो और सार्वज‎निक जगहों पर जाना और घूमना-‎फिरना बैन कर ‎दिया गया। यहां पर म‎हिलाओं के हालात बहुत ज्यादा बिगड़े हैं। यहां पर सत्ता मिलते ही तालिबान ने धीरे-धीरे अपने अपनी दमनकारी नीतियां लागू करना शुरू कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ है कि महिलाओं को दफ्तरों, यूनिवर्सिटी, नेशनल पार्क, जिम जैसी सार्वजनिक जगहों से पूरी तरह से दूर कर दिया गया है। बच्चियां छठी क्लास से ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सकती हैं। यही वजह है कि अब धीरे-धीरे इसका असर भी बहुतायत में देखने को मिल रहा है। अफगानिस्तान में महिलाओं के बीच आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं। इसकी मुख्य वजह अकेलापन, घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं होना, कमरो के भीतर कैद होना, पढ़ाई से रोक दिया जाना आ‎दि है। 
यहां पर हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि महिलाएं अब डिप्रेशन, तनाव और मानसिक बीमारियों का शिकार होती जा रही हैं। एक तरह से महिलाओं की स्थिति दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में आत्महत्या और आत्महत्या की कोशिस पर विश्वसनीय आंकड़े इकट्ठा नहीं किए गए हैं। लेकिन राइट्स ग्रुप्स और डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने तालिबान शासन के दौरान आत्महत्या के मामले बढ़ते हुए देखे हैं। अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में मेंटल हेल्थ क्लिनिक चलाने वाले डॉ शिकीब अहमदी ने देश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर एक स्पष्ट जानकारी साझा की है। 
डॉ अहमदी ने बताया कि पिछले दो साल से तालिबान की वापसी के बाद उनके क्लिनिक पर आने वाली महिला मरीजों की संख्या में बड़ी तादाद में इजाफा हुआ हैद। यहां पर 40 से 50 फीसदी म‎हिला मरीजों का इजाफा हुआ है। इसमें से 10 फीसदी महिलाओं ने आगे चलकर सुसाइड भी कर लिया। उनका कहना है कि वह देश में महिलाओं के लिए अच्छे भविष्य की उम्मीद नहीं की जा सकती हैं। महिलाओं को यहां कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है, जिसकी वजह से वे अब आत्महत्याएं कर रही हैं। महिलाओं और बच्चियों ने आत्महत्या के लिए घर में मौजूद चीजों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होने की वजह से घर में मौजूद चूहे मारने का जहर, लिक्विड केमिकल, फिनाइल और फर्टिलाइजर खाकर जान लेना शुरू कर दिया है।