बॉम्बे हाईकोर्ट ने वेणुगोपाल धूत की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सीबीआई से हलफनामा मांगा है। वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार तक हलफनामा दायर करे। वेणुगोपाल धूत की ओर से बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने, उनकी गिरफ्तारी को ''मनमाना और अवैध'' घोषित करने और जमानत पर रिहा करने की मांग की गई है।

हाईकोर्ट में जब याचिका सुनवाई के लिए आई तो वकील कुलदीप पाटिल ने इस पर निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि एजेंसी शुक्रवार तक अपना हलफनामा दायर करे। याचिका पर सुनवाई के लिए उसी दिन यानी 13 जनवरी की तारीख तय की गई। धूत की ओर से पेश वकील संदीप लड्डा ने तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया और कहा कि धूत 'दिल में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज' से पीड़ित हैं।  

पीठ ने कहा कि उसे सीबीआई को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देना होगा। दो वकीलों सुभाष झा और मैथ्यू नेदुमपारा ने मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की और सह-आरोपी आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को अंतरिम जमानत देने के इसी पीठ के सोमवार के आदेश को वापस लेने की मांग की। झा ने उच्च न्यायालय से कहा, ''हम इस देश के वकील और सतर्क नागरिक हैं और इसलिए हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।  पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को विचार करेगी कि क्या दोनों अधिवक्ताओं को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।  

वेणुगोपाल धूत  ने अपनी याचिका में सीबीआई की प्राथमिकी रद्द करने और जांच पर रोक लगाने के साथ ही जमानत पर रिहा करने की मांग की है। उन्हें 26 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं। धूत ने सीबीआई की ओर से अपनी गिरफ्तारी को मनमाना, अवैध, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई कार्रवाई बताया था। याचिका में कहा गया था कि यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) का घोर उल्लंघन जिसके तहत आरोपी को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी करने और बहुत आवश्यक होने पर ही गिरफ्तारी करने के लिए को अनिवार्य किया गया है।