नई ‎दिल्ली । अक्टूबर में 11 महीनों में सबसे तेज बढ़ोतरी के बाद नवंबर में भारत के वस्तु निर्यात के ‎विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई। इससे वैश्विक मांग में अस्थिरता और असमान आर्थिक सुधार का संकेत मिलता है। वाणिज्य विभाग की ओर से जारी ‎किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में निर्यात 2.8 फीसदी घटकर 33.9 अरब डॉलर और आयात 4.3 फीसदी घटकर 54.5 अरब डॉलर रह गया। इससे व्यापार घाटा 20.6 अरब डॉलर दर्ज किया गया। त्योहारी मांग के कारण सोने और चांदी के आयात में जबरदस्त वृद्धि के कारण अक्टूबर में व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 31.5 अरब डॉलर हो गया था। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थवाल ने कहा कि निर्यात में वृद्धि के संकेत अब थम गए हैं और नवंबर में निर्यात का समग्र रुझान सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा ‎कि वैश्विक व्यापार प्रभावित हो रहा है, लेकिन हम अभी भी अपनी पकड़ बनाए रखने में समर्थ हैं। व्यापार केवल एकतरफा नहीं होता। उसे वैश्विक संदर्भ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हमने कई देशों की जीडीपी वृद्धि देखी है जो अधिक नहीं है। मूल्य के लिहाज से अगस्त को छोड़ दिया जाए तो इस साल अप्रैल से ही भारत से निर्यात 33 से 34 अरब डॉलर के दायरे में रहा है। यह पिछले साल अप्रैल से नवंबर के बीच भारत के निर्यात के मुकाबले काफी कम है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर की अवधि में निर्यात 7 फीसदी घटकर 278.8 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात में 9.5 की गिरावट आई और वह 445.1 अरब डॉलर रहा।भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल का कहना है ‎कि निर्यात में गिरावट से बढ़ती अनिश्चितता का संकेत मिलता है। इससे वैश्विक आर्थिक सुधार में सुस्ती की भी झलक मिलती है। जिंस की कीमतों में साल 2022 के उच्च स्तर के मुकाबले नरमी ने भी गिरावट में योगदान किया। लगभग सभी देशों के निर्यात में गिरावट देखी जा रही है। कई देशों के निर्यात में दो अंकों की गिरावट आई है। पश्चिम एशिया में तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी दुनिया भर के कारोबारियों और बाजारों में घबराहट बढ़ा दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में वस्तुओं एवं सेवाओं के वैश्विक निर्यात में 4.5 फीसदी संकुचन दिखने के आसार हैं।