नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली आज, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व जानें
छोटी दिवाली पर यमराज की पूजा का है विशेष महत्व
छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा अकाल मृत्यु भी टल जाती है. छोटी दिवाली के दिन दीपदान करना चाहिए.
छोटी दिवाली पर यमराज की पूजा का है विशेष महत्व
लक्ष्मी जी का मंत्र
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि .हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥पद्मालये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं च सर्वदे .सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
Diwali Puja Niyam: बैठी मुद्रा वाली मूर्ति की पूजा
दिवाली पर गणेशजी और माता लक्ष्मी की बैठी हुई मुद्रा की मूर्ति पूजा करनी चाहिए. खड़ी मुद्रा की मूर्ति को उग्र स्वभाव की मानी जाती है.
दीपावली के दिन क्या क्या देखना शुभ होता है?
दिवाली के दिन उल्लू, छिपकली, छछूंदर, बिल्ली का दिखना बेहद ही शुभ माना जाता है. दिवाली की रात यदि किसी व्यक्ति को इनमें से कोई एक भी जानवर दिखाई दे तो ये भाग्योदय का संकेत होता है.
दिवाली पर पितरों का भी किया जाता है पूजन
कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली के दिन पर पितरों का पूजन भी किया जाता है. ध्यान रखें कि पितरों का पूजन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया जाता है. अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज माने गए हैं. इस वजह से दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के साथ ही यमराज की पूजा भी करें.
मां कालिका की पूजा
छोटी दिवाली को काली चौदस भी कहा जाता है और कई जगहों पर कालिका माता की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन कालिका माता की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मां कालिका भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं.
आर्थिक तंगी हो तो तेल मालिश करें
मान्यता है कि छटी दिवाली यानी नरक चौदस के दिन लक्ष्मी जी सरसों के तेल में निवास करती हैं उस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है. जिन लोगों को आर्थिक रूप से तंगी रहती हो उनको इस दिन सरसों का तेल लगाना चाहिए. नरक चौदस के दिन उबटन लगाएं, उसके बाद गुनगुने पानी से स्नान करें. इस दिन शारीरिक सुंदरता का भी ध्यान रखने की मान्यता है.
यमराज की पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, रंति देव नाम के एक राजा थे, जो कि बेहद ही धर्मात्मा व्यक्ति थे. उन्होंने अपने जीवन में कोई भी पाप नहीं किया लेकिन इसके बावजूद उन्हें मृत्यु के दौरान नरक लोक मिला. अपने साथ ऐसा होता देख राजा ने यमराज से कहा कि मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर आप मुझे नरक लोक क्यों ले जा रहे हैं? रंति देव की बात सुनकर यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा पेट लौट गया था. यह आपके उसी कर्म का फल है. इस बात को सुन राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय मांगा और ऋषियों के पास अपनी इस समस्या को लेकर पहुंचे. तब ऋषियों ने उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखने और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनसे माफी मांगने को कहा. एक साल बाद यमदूत राजा को फिर लेने आए. इस बार उन्हें नरक के बजाय स्वर्ग लोक ले गए तब ही से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई. ताकि भूल से हुए पाप की भी क्षमा मिल सकें.
छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा का भी है खास महत्व
छोटी दिवाली की शुभ तिथि
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 23 तारीख को शाम 06:04 मिनट से शुरू होकर 24 अक्टूबर शाम 05: 28 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक, छोटी दिवाली 24 अक्तूबर को भी मनाई जा सकती है. हालांकि, कुछ लोग 23 को भी यह त्योहार मनाएंगे.
दूर करें कन्फ्यूजन
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, जो लोग 22 अक्तूबर को धनतेरस मनाएंगे, वे 23 अक्टूबर को छोटी दिवाली और 24 अक्तूबर को बड़ी दीपावली मनाएंगे. जबकि जो लोग 23 अक्तूबर को धनतेरस मनाएंगे, वे 24 अक्तूबर को ही नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली का त्योहार मनाएंगे.
दिवाली का शुभ मुहूर्त
दिवाली की पूजा मुहूर्त में करने का विशेष महत्व माना जाता है.
दिवाली के दिन भगवान गणेश ,मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है. इस दौरान विधि-पूर्वक पूजन करने से धन-वैभव बना रहता है.
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि- 23 अक्टूबर शाम 06:04 से 24 अक्टूबर शाम 05:28 मिनट तक
कृष्ण पक्ष की अमावस्या- 24 अक्टूबर शाम 05:28 से 25 अक्टूबर शाम 04:18 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 08:16 तक
अभिजीत मुहूर्त- 24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तक
विजय मुहूर्त- 24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक प्रज्वलित करने से कुबेर और विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
काली चौदस 2022 डेट और मुहूर्त
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर काली चौदस भी मनाई जाती है.इसमें मध्यरात्रि में मां काली की पूजा की जाती है.काली पूजा रात में होती है ऐसे में 23 अक्टूबर को काली चौदस की पूजा की जाएगी.
काली चौदस मुहूर्त - 23 अक्टूबर 2022, रात 11 बजकर 42 मिनट से 24 अक्टूबर को रात में 12 बजकर 33 मिनट तक.
बड़ी दिवाली की सही तिथि
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्तूबर, सायं 05:28 से लग रही है, जो 25 अक्तूबर सायं 04:19 मिनट तक रहेगी. 25 अक्तूबर को शाम प्रदोष काल लगने से पहले ही अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है. ऐसे में बड़ी दिवाली 24 अक्तूबर को ही मनाई जाएगी.
दिवाली का शुभ मुहूर्त
दिवाली की पूजा मुहूर्त में करने का विशेष महत्व माना जाता है. पंडित शक्ति जोशी के अनुसार दिवाली के दिन भगवान गणेश ,मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है. इस दौरान विधि-पूर्वक पूजन करने से धन-वैभव बना रहता है.
एक ही दिन है धनतेरस और छोटी दिवाली
कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर की शाम से शुरू हो जाएगी जो 24 अक्टूबर की शाम यानि कि दिवाली तक चलेगी. अगर सही मुहूर्त की बात करें तो 23 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. इसलिए छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी और धनतेरस दोनों ही रविवार 23 अक्टूबर को है. 24 अक्टूबर को बड़ी दिवाली है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त-
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 08:16 तक
अभिजीत मुहूर्त- 24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तक
विजय मुहूर्त- 24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक
मुख्य गेट पर बनाएं स्वास्तिक
छोटी दिवाली के दिन मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना शुभ माना जाता है. मान्यता है जिस घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक होता है,वहां मां लक्ष्मी का वास होता है. साथ ही वास्तु दोष से भी मुक्ति मिलती है और घर में सुख- समृद्धि का वास रहता है.
कुबेर यंत्र को करें स्थापित
धनतेरस के दिन बाजार से कुबेर यंत्र लाएं और फिर यंत्र को पूजा में रखें. इसके बाद यंत्र का शुद्धिकरण करें और ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः' का जाप करें. फिर इस यंत्र को धन रखने की जगह स्थापित कर दें. ऐसा करने से आपको करियर और व्यापार में तरक्की मिल सकती है. साथ ही धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्त होगी.
सूर्य देव को दें इस दिन अर्घ्य
धनतेरस के दिन तांबे के लोटे में रोली के साथ थोड़ा सा अक्षत मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्य दोष से मुक्ति मिल सकती है.