नई दिल्ली।  लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के त्यागपत्र के साथ ही बिहार में नेतृत्व को लेकर हफ्ते भर से चल रहा अटकलों का दौर शुक्रवार को खत्म हो गया। परिणामत: एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान संभाल ली है। 
 राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ललन सिंह और लालू यादव की नजदीकियों की खबर नीतीश कुमार तक पहुंच गई थी। उन्हें पता चला था कि तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाए जाने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि, नीतीश कुमार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। सूत्रों के अनुसार ललन सिंह ने नीतीश कुमार के एक करीबी मंत्री के साथ मिलकर यह प्रस्ताव रखा कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए तो वहीं नीतीश कुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए।
नीतीश कुमार को यह तर्क देकर पद छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की गई कि 18 साल से वे मुख्यमंत्री हैं, अब उन्हें सत्ता सौंप देनी चाहिए। इस प्रस्ताव पर नीतीश कुमार सहमत नहीं हुए।
नीतीश कुमार की तरफ से तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का प्रस्ताव नहीं माना गया तो ललन सिंह ने जेडीयू को तोड़ने की योजना बनानी शुरू कर दी। यही नहीं, सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले जेडीयू के 12 विधायकों के साथ गुप्त मीटिंग भी रखी गई। ये 10-12 विधायक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की योजना में मदद करने वाले थे। रणनीति के अनुसार ललन सिंह 12 विधायकों को तोड़कर अगर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने में सफल होते तो इसके बदले में राजद उन्हें राज्यसभा भेज सकती थी।