ब्रिटिश अखबार को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की आर्थिक स्थिति के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने विपक्षियों की ओर से जताई गई चिंताओं को नकारते हुए देश के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने देश को निवेश और प्रगति का गंतव्य बताते हुए पांच ट्रिलियन अमरीकी डालर की मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। 

ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में पीएम ने चीन से भारत की तुलना पर कहा, "आपने चीन के साथ तुलना की है लेकिन अन्य लोकतंत्रों के साथ भारत की तुलना करना अधिक उपयुक्त हो सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल नहीं कर पाता, अगर आपने जिस मुद्दे को उजागर किया है, वह व्यापक होता। अक्सर ये चिंताएं धारणाओं से उपजतीं हैं और धारणाओं को बदलने में समय लगता है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का मिशन 2047 तक भारत को विकसित स्थिति में लाना है, यह देश की आजादी की 100वीं वर्षगांठ है। यह भारत के दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ''आज भारत के लोगों की आकांक्षाएं दस साल पहले की आकांक्षाओं से अलग हैं। लोगों को अहसास है कि हमारा देश उड़ान भरने की कगार पर है। वे चाहते हैं कि इस लड़ाई में तेजी लाई जाए और वे यह सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छी पार्टी को जानते हैं। यही वह पार्टी है जो उन्हें यहां तक लेकर आई है।" प्रधानमंत्री ने एक ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जो अधिक लोगों को भारत में निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करे। 

वैश्विक कंपनियों में भारतीय मूल के कुछ मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को वापस लाने के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए माहौल बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, 'यह उन्हें वापस लाने का मामला नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य भारत में ऐसा माहौल बनाना है कि यहां स्वाभाविक रूप से लोगों को भारत में हिस्सेदारी लेने में दिलचस्ती बढ़े। हम ऐसी परिस्थितियां पैदा करने की इच्छा रखते हैं जहां हर कोई भारत में निवेश करने और यहां अपने परिचालन का विस्तार करने को महत्वपूर्ण समझे।

उन्होंने कहा, 'हम एक ऐसी प्रणाली की कल्पना कर रहे हैं जहां दुनिया भर से कोई भी भारत में घर जैसा महसूस करे, जहां हमारी प्रक्रियाएं और मानक परिचित और स्वागत योग्य हों। यह एक समावेशी वैश्विक मानक प्रणाली है जिसे बनाने की हम आकांक्षा रखते हैं। 

हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि, लचीले वित्तीय क्षेत्र व डिजिटल बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय प्रगति की सराहना करते हुए भारत की विकास गाथा का जोरदार समर्थन किया।

आईएमएफ के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक साल में अनौपचारिक क्षेत्र में लचीलापन दिखाते हुए मजबूत विकास का प्रदर्शन किया है। वित्तीय क्षेत्र ने वर्षों में अपने सबसे मजबूत प्रदर्शन का अनुभव किया। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत के लिए एक निरंतर मजबूत विकास दर का अनुमान लगाया है।

बेरोजगारी जो देश के लिए चिंता का कारण रही है, उसमें भी काफी गिरावट देखी गई है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2023 के अनुसार 2011 में जो बेरोजगार 9.6% थी वह 2023 में उल्लेखनीय रूप से घटकर 3.2% पर पहुंच गइ्र है। यह बदलाव बेहतर आर्थिक स्थितियों की ओर इशारा करता है। ये आंकड़े कार्यबल में लाखों लोगों के प्रवेश की पुष्टि करते हैं, जिससे भारत के विकास को बढ़ावा मिलता है।

पीएम मोदी ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि उत्पादकता और बुनियादी ढांचे के विस्तार जैसे विभिन्न प्रदर्शन मानकों का मूल्यांकन करते समय, यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत जो कि एक विशाल और युवा राष्ट्र है में रोजगार सृजन वास्तव में तेज हो गया है।"

भारत ने भू-राजनीतिक बदलावों और आर्थिक आकांक्षाओं के बीच खुद को खड़ा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि राष्ट्र को उभरते वैश्विक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहती है।