भोपाल । प्राइवेट स्कूलों की स्कूल वैन और बस सेवा महंगी पड़ती है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी निश्चित की गई हैं. संचालक अब स्कूल परिसर के बाहर बच्चों की जिम्मेदारी लेने से इनकार नहीं कर सकेंगे। खासतौर से स्कूल बस और स्कूल वैन में बैठकर जाने वाले बच्चों की जिम्मेदारी के लिए स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि वह घर पहुंचने तक के सभी इंतजाम पर अपनी निगरानी व्यवस्था बनाएं। रास्ते में किसी भी प्रकार की असुविधा या दुर्घटना होने के लिए सीधे तौर पर प्राइवेट स्कूल प्रबंधन को दोषी माना जाएगा।
स्कूल वाहनों में गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी भी प्रबंधन को सौंपी है। ट्रैफिक पुलिस ने अभी तक ऐसे 45 मामले चिह्नित करने के बाद लापरवाही पर 2.56 लाख रुपए जुर्माना नोटिस जारी कर रिकवरी की है। एक निजी स्कूल में सामने आई घटना के बाद नई कवायद शुरू की गई ताकि स्कूल वाहनों में मासूमों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। डीसीपी विनीत कपूर डीसीपी ट्रैफिक हंसराज सिंह ने इस मामले में ड्राइवर कंडक्टर और स्कूल प्रबंधकों को नियमों से अवगत कराया।
अब इस गाइडलाइन का पालन अनिवार्य
स्कूल/कॉलेज बसों को पीले रंग से पेंट किया जाना चाहिए। बसों के आगे और पीछे बड़े एवं अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा स्कूल बस लिखा जाए। विद्यालय/कॉलेज के लिये उपयोग में लाई जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बिठाए जाएं। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से फस्र्ट एड बॉक्स की व्यवस्था हों। बस की खिड़कियों में आड़ी पटिटयां अनिवार्य रूप से फिट करवाई जाएं। बस में अग्निशमन यंत्र हों। बस पर स्कूल का नाम और फोन नम्बर लिखा हुआ हो। बस के दरवाजे पर सुरक्षित सिटकनी लगी हों। बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीटो के नीचें जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए। बच्चों को लाते-ले जाते समय एक शिक्षक की व्यवस्था रहे जो बच्चें को एस्कॉर्ट करे। बच्चों के माता-पिता शिक्षक को बस में यात्रा कर सुरक्षा मापदंडों को जांचना चाहिए। वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। यदि कोई ड्राइवर वर्ष में दो बार से अधिक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे लाल सिग्नल को जम्प करना लेन नियम का पालन नही करना एवं अनाधिकृत व्यक्ति से वाहन चलवाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्राइवर नहीं रखना चाहिए। स्कूल बसों एवं लोकपरिवहन यानों में स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता। स्कूल बसों में 02 कैमरे अनिवार्य रूप से चालू स्थिति में हों जिसमें एक कैमरा आगे की ओर तथा एक कैमरा बस में पीछे की ओर होना जरुरी है। यदि कोई ड्रायवर वर्ष में एक बार भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे ओवर स्पीड नशे में वाहन चलाना या खतरनाक तरीके से वाहन चलाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्राइवर नहीं रखना चाहिए। बस में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हुआ होना चाहिए। स्कूल बस में सफर करने वाले छात्र/छात्राओं की सूची मय नाम/पता ब्लड गु्रप एवं बस स्टॉप जहां से छात्र/छात्राओं को पिकअप एवं ड्राप करते है की सूची चालक अपने पास रखेगा।