नई दिल्ली । आयात में बढ़ोतरी और त्योहार के बाद मांग में आई भारी कमी से इस्पात के दाम ‎गिर गए हैं। यही वजह है ‎कि हालात ने देश की इस्पात मिलों को दामों में कमी के लिए मजबूर किया है। जबकि वैश्विक स्तर पर स्पात के दाम बढ़ रहे हैं। बाजार के सूत्रों के मुताबिक इस्पात कंपनियों ने दिसंबर के लिए सुझाए खुदरा दामों (लिस्ट प्राइस) में दो से तीन प्रतिशत तक की कटौती की है ताकि दाम बाजार स्तर के अनुरूप हो सकें। एक प्रमुख स्पात उत्पादक ने कहा कि यह ऐसी कमी थी ताकि कारोबार अब तक हुए आयात के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। इस्पात उद्योग कुछ महीनों से बढ़ते आयात, खास तौर पर चीन से कम दाम वाली सामग्री के संबंध में चिंता जताता रहा है। उद्योग जगत ने इसे सरकार के समक्ष भी उठाया है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि भारतीय इस्पात क्षेत्र वर्तमान में आयात-जनित बाधाओं से जूझ रहा है लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक-दो महीने से बाजार के दाम मिल के दामों से कम पर कारोबार कर रहे हैं।
इस संबंध में जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि बाहर के कमजोर माहौल की वजह से आयात की तीव्रता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मजबूत घरेलू मांग के साथ भारत कम कीमतों पर वैश्विक व्यापार के लिए आकर्षक बाजार बन गया है। उन्होंने कहा कि आयात में चीन की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है और यह 52 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। एफटीए देशों से शून्य शुल्क स्तर वाला आयात भी बढ़ गया है। आचार्य ने कहा कि उनमें से कुछ ऋणात्मक मार्जिन पर काम कर रहे हैं और उस सामग्री को भारत में खपाने की भी को‎शिश कर रहे हैं।